नई दिल्ली । कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा (Congress Spokesperson Pawan Kheda) ने कहा कि भाजपा द्वारा (By BJP) अपना खजाना भरने के लिए (To Fill its Treasury) चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) लाई गई थी (Was Brought) ।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित कर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खज़ाऩा भरने के लिए बनाई गई एक ‘काला-धन-सफ़ेद-करो योजऩा’ थी। पवन खेड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हीं भावनाओं को दोहराया जो मैंने और मेरे सहयोगियों ने, ऑन रिकॉर्ड बार-बार व्यक्त की हैं। पहला यह योजना असंवैधानिक है, ऐसा उपाय जो मतदाताओं से यह छुपाता है कि राजनीतिक दलों को कैसे मालामाल बनाता है, लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इस प्रकार, यह सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) का उल्लंघन करता है।
दूसरा, सरकार का यह दावा कि उसने काले धन पर अंकुश लगाया, बिल्कुल बेबुनियाद व निराधार था। दरअसल, आरटीआई के प्रावधानों के बिना इस योजना को लागू करके वह कालेधन को सफेद करने को बढ़ावा दे रही थी। तीसरा, वित्तीय व्यवस्था राजनीतिक दलों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान का कारण बन सकती हैं।
उन्होंने मोदी सरकार और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली का जिक्र करते हुए कहा कि आरबीआई, चुनाव आयोग, भारत की संसद, विपक्ष और भारत के लोगों के विरोध को कुचलते हुए चुनावी बॉन्ड पेश करने के असंवैधानिक फैसले का बार-बार बचाव किया गया।
राजनीतिक दलों को चंदा कैसे मिलेगा, इसको लेकर शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत की तरफ से यह फैसला सुनाया गया। अब कांग्रेस इसको लेकर दावा कर रही है कि वह पहले से ही इस योजना का विरोध कर रही थी और अब वह सच साबित हुआ है। अब सरकार के द्वारा जारी इस चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है।
कांग्रेस ने दावा किया कि 2017 में चुनावी बॉन्ड को लाए जाने का सबसे पहले विरोध किया गया था। संसद के भीतर और बाहर भी कांग्रेस पार्टी इस योजना का विरोध करती रही। कांग्रेस की तरफ से पार्टी के 2019 के घोषणापत्र का जिक्र किया गया और लिखा गया कि इस योजना को खत्म करने का तब ही हम इरादा रखते थे। कांग्रेस की तरफ से दावा किया गया है कि यह योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए एक योजना थी। कांग्रेस ने इसके साथ ही भाजपा से सवाल किया है कि क्या वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करेंगे या फिर फैसले के खिलाफ कोई अध्यादेश लाएंगे? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपना बयान जारी करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की केंद्र सरकार की तरफ से 2017 में घोषणा की गई थी। जिसे सरकार ने 29 जनवरी 2018 को लागू कर दिया था। यह इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है। जिसके जरिए कोई भी आदमी अपने पसंदीदा राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से चंदा दे सकता है।
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