भोपाल। कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के कारण सहकारी संस्थाओं के चुनाव (Election) टल गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि सहकारी संस्थाओं के चुनाव नए प्रविधानों के तहत अक्टूबर-नवंबर (October-November) में कराए जा सकते हैं। इसके लिए कोरोना संक्रमण (Corona infection) की स्थिति से निपटने के बाद मतदाता सूची (Voter’s list) तैयार कराई जाएगी। इस बार सांसद और विधायकों को भी चुनाव (Election) लडऩे का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं, वे शीर्ष सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष भी बन सकते हैं।
इसके लिए सहकारिता विभाग सहकारी अधिनियम में संशोधन कर चुका है। चुनाव (Election) कराने के लिए जिला स्तर से जानकारी भी बुलाई पर कोरोना संकट (Corona Crisis) को देखते हुए बात आगे नहीं बढ़ी। इस बीच सहकारी अधिनियम में संशोधन करके यह प्रविधान कर दिया कि अब सांसद और विधायक भी संस्था का चुनाव लड़ सकते है और शीर्ष संस्थाओं के अध्यक्ष भी बन सकते हैं। अभी तक प्रदेश में इस पर रोक थी। यदि किसी संस्था का पदाधिकारी सांसद या विधायक निर्वाचित हो जाता था तो उसे पद छोडऩा पड़ता था। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब होने वाले चुनावों में नया प्रविधान प्रभावी होगा। चुनाव कराने के लिए मतदाता सूची निर्वाचन सहकारी प्राधिकारी द्वारा तैयार कराई जाएगी।
तीन साल से टल रहे चुनाव
प्रदेश में तीन साल से सहकारी संस्थाओं के चुनाव नहीं हुए हैं। विधानसभा चुनाव 2018 को मद्देनजर रखते हुए सहकारी संस्थाओं के चुनाव टाल दिए गए थे। सत्ता परिवर्तन हुआ तो समितियों की सदस्य सूची को नए सिरे से तैयार कराया जाने लगा। इस बीच कुछ संस्थाओं से भाजपा समर्थित पदाधिकारियों को पद हटाया गया और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े नेताओं को प्रशासक बनाकर बैठा दिया पर चुनाव नहीं कराए। वहीं, जब भाजपा सरकार आई तो सबसे पहले इन नियुक्तियों को निरस्त करके अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया।
गेहूं खरीदी के बाद बनेगी मतदाता सूची
अभी प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाएं गेहूं का उपार्जन कार्य कर रही हैं, इसलिए मतदाता सूची का यह काम बाद में होगा। मानसून के दौरान चुनाव की तैयारियां होंगी और इसके बाद प्राथमिक साख सहकारी समिति, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अपेक्स बैंक के चुनाव कराएं जाएंगे। इसके साथ ही विपणन सहकारी समिति के चुनाव भी होंगे। प्राथमिक समितियों के चुनाव कराने के बाद राज्य सहकारी विपणन संघ के चुनाव होंगे।
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