भोपाल। सितम्बर में नगर निगम के वार्डों का आरक्षण हुआ था और अब उनका राजपत्र में प्रकाशन भी हो गया है। इंतजार अब केवल महापौर पद के आरक्षण का है और उसके बाद चुनावों की तारीखों का। भाजपा की सरकार बनते ही पार्षद पद के दावेदारों में फिर हलचल शुरू हो गई है कि जल्द ही चुनाव हो सकते हैं। जानकारों का तो यह मानना है कि भाजपा सरकार जनवरी माह में नगरीय निकाय चुनाव करा सकती है। इस माह के अंत में महापौर पद का आरक्षण भी हो सकता है। कांग्रेस ने नगरीय निकायों के चुनाव नहीं कराए और उसकी जगह सभी निकायों में प्रशासक राज लागू कर दिया। कांग्रेस ने तो महापौर के चुनाव की प्रक्रिया ही बदल दी थी, जिसके तहत महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से न कराकर पार्षदों के मार्फत होने वाले थे लेकिन सत्ता बदली और भाजपा ने पुरानी प्रणाली को फिर से लागू कर दिया। सितम्बर माह में वार्डों का आरक्षण करा लिया गया था। उस समय लोगों ने यह कहा कि जब चुनाव ही नहीं होने हैं तो आरक्षण का क्या लाभ लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दिसम्बर न सही लेकन जनवरी में नगरीय निकाय चुनावों की बिसात बिछ सकती है। चूंकि मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं आयोजित होती हैं उस समय चुनाव होने की संभावना कम है इसलिए जनवरी माह में ही चुनाव कराने की चर्चा है।
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