नई दिल्ली (New Delhi)। भाजपा (BJP) ने राज्यों की सीटों को ए, बी, सी और डी श्रेणी में बांटा (divided states four categories ) है। डी श्रेणी की सीटों पर पार्टी कभी नहीं जीती है, जबकि सी श्रेणी की सीटों पर बीते दो चुनाव से हार रही है। ए श्रेणी की सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी बेहद मजबूत है जबकि बी श्रेणी में ऐसी सीटें शामिल हैं जहां पार्टी को कभी हार तो कभी जीत नसीब होती रही है। पार्टी की रणनीति सी और डी श्रेणी की सीटों पर प्रदर्शन में सुधार लाकर विरोधी पार्टी को झटका देने की है। इन सीटों पर बूथ प्रबंधन (booth management) पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा सामाजिक और जातिगत समीकरण (social and caste equation) को प्राथमिकता दी गई है।
सीईसी की बैठक में प्रभारियों की ओर से तैयार ग्राउंड रिपोर्ट (ground report) पर विस्तृत चर्चा हुई। रिपोर्ट में चुनावी राज्यों की एक-एक सीट का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक के बारे में ऐसी ही ग्राउंड रिपोर्ट में यह सामने आया कि वहां मिली हार के पीछे प्रत्याशी तय करने में हुई देरी भी बड़ा कारक थी। इसलिए पांच राज्यों में पार्टी यह गलती नहीं दोहराना चाहती।
झाबुआ से फिर भानु को मौका
मध्यप्रदेश में भाजपा ने सरला विजेंद्र रावत को सबलगढ़, प्रियंका मीणा को चचौरा, ललिता यादव को छतरपुर, आंचल सोनकर को जबलपुर पूर्व(एससी), निर्मला भूरिया को पेटलावाड, भानू भूरिया को झाबुआ(एसटी), आलोक शर्मा को भोपाल उत्तर और ध्रुव नारायण सिंह को भोपाल मध्य से उतारने की घोषणा की है। भानु भूरिया 2019 के उपचुनाव में कांग्रेस के दिग्गज कांतिलाल भूरिया से हार गए थे।
चुनाव समितियों में वसुंधरा को जगह न मिलने पर बढ़ी सियासी हलचल
राजस्थान में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा ने बृहस्पतिवार को 21 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति और 25 सदस्यीय प्रदेश संकल्प पत्र कमेटी की घोषणा कर दी है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को किसी भी समिति में जगह नहीं दी गई है। संकल्प पत्र कमेटी की जिम्मेदारी कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल तो प्रबंधन कमेटी की जिम्मेदारी राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया को दी गई है। दोनों कमेटियों में वसुंधरा का नाम न होने से चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसे राज्य में नया नेतृत्व उभारने की पार्टी नेतृत्व की मंशा के तौर पर देखा जा रहा है। वसुंधरा को दोनों कमेटियों में जगह नहीं मिलने के सवाल पर राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि बाकी सभी वरिष्ठ नेता प्रचार करेंगे। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी प्रचार-प्रसार कमेटी के साथ सीएम पद का चेहरा तय नहीं किया है। ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा कि उन्हें किनारे कर दिया गया है।
वसुंधरा की भूमिका बनी रहेगी
गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद वसुंधरा को राज्य की राजनीति में फिर से अहमियत मिलने लगी थीं। इस चुनाव के बाद प्रधानमंत्री ने राजस्थान का दो बार दौरा किया। इस दौरान वसुंधरा प्रधानमंत्री के साथ सभी मौके पर मंच पर नजर आईं थीं। वसुंधरा हमारी वरिष्ठ नेता हैं। हम हमेशा उन्हें कई कार्यक्रमों में शामिल करते रहे हैं, आगे भी उनकी भूमिका रहेगी। वह पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। सबकी अपनी-अपनी भूमिका है। -प्रहलाद जोशी, चुनाव प्रभारी
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