भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर (Gwalior) खंडपीठ ने अशोकनगर के भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी (BJP MLA Jajpal Singh Jajji) के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया है। उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र (fake caste certificate) के आधार पर अनुसूचित जाति (scheduled caste) के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने को लेकर आपराधिक प्रकरण दर्ज (criminal case filed) करने के निर्देश पुलिस को दिए हैं। साथ ही जज्जी पर पचास हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष (Madhya Pradesh Assembly Speaker) को भी जज्जी की सदस्यता खत्म करने को कहा है। जज्जी को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) का समर्थक माना जाता है।
यह चुनाव याचिका 2018 के विधानसभा चुनाव में जज्जी से हारे भाजपा नेता लड्डूराम कोरी ने लगाई थी। जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोरी का आरोप था कि पंजाब में कीर जाति को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलता है लेकिन मध्यप्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
भाजपा के विधायक जजपाल सिंह ने यही अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र उपचुनाव में भी लगाया था। चुनाव आयोग के अधिवक्ता संगम जैन ने लड्डूराम कोरी की याचिका के साथ जज्जी के जाति प्रमाण पत्रों को भी सुनवाई के दौरान संलग्न किया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने वाले जज्जी का चुनाव अब खुद-ब-खुद शून्य हो गया है।
2018 में जज्जी ने कांग्रेस और कोरी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। जज्जी ने कीर जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा। कीर जाति को पंजाब में आरक्षण दिया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश में नहीं। कोरी ने इसी आधार पर चुनाव याचिका दाखिल की थी। 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद जज्जी भी भाजपा में आ गए थे। उन्होंने उपचुनाव में जीत हासिल की थी। पर 2018 के मामले में अब हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी पाया है।
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