भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इस सत्र में उप चुनाव जीतकर आए सदस्यों को शपथ दिलायी जाएगी। लव जिहाद रोकने के लिए धर्म स्वातंत्र्य विधेयक सहित अन्य विधेयक तो पेश किए ही जाएंगे। भाजपा कांग्रेस दोनों की नजर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव पर है। हालांकि सत्र क्योंकि सिर्फ तीन दिन का ही है। इसलिए चुनाव होगा या नहीं अभी तय नहीं है। विधानसभा के उपाध्यक्ष पद को लेकर अब कांग्रेस और भाजपा के बीच घमासान तेज हो गया है। यह तय है कि अध्यक्ष पद भाजपा के पास ही रहेगा। लेकिन उपाध्यक्ष पद के लिए खींचतान शुरू हो गई है। कांग्रेस का कहना है सालों से चली आ रही परंपरा के तहत विधानसभा का उपाध्यक्ष पद विपक्ष को मिलना चाहिए। जबकि भाजपा का आरोप है कि ये परंपरा कांग्रेस ने कमलनाथ सरकार के दौरान तोड़ दी। इसलिए अब क्यों परंपरा की बात कह रही है।
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव तय नहीं
विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव शीतकालीन सत्र में होगा या नहीं 27 दिसंबर की सर्वदलीय बैठक में फैसला होगा। 28 दिसंबर को 3 दिन का शीतकालीन सत्र होगा। इससे पहले सर्वदलीय बैठक की जाएगी। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डा।गोविंद सिंह के साथ सपा और बसपा विधायक शामिल होंगे।
अध्यक्ष पद की दौड़ में भाजपा के 6 नेता
अभी ये तय नहीं है कि विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होगा या नहीं। लेकिन इस पद को पाने के लिए बीजेपी के अंदर घमासान मचा हुआ है। इस संवैधानिक पद की दौड़ में भाजपा के 6 विधायक हैं। इनमें विंध्य के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम सबसे आगे हैं। जबकि इस दौड़ में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा। सीतासरन शर्मा, राजेंद्र शुक्ल, नागेंद्र सिंह, केदार शुक्ला और यशपाल सिसोदिया का नाम भी तेजी से सामने आया है।
कांग्रेस में उपाध्यक्ष पद की मांग
कांग्रेस के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने मांग की है कि परंपरा के तहत कांग्रेस को उपाध्यक्ष पद दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में विधानसभा को चलाना चाहते हैं तो भाजपा को उपाध्यक्ष पद कांग्रेस को देना पड़ेगा। भाजपा के परंपरा तोडऩे के सवाल पर पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार में बीजेपी ने उपाध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था इसलिए उन्हें उपाध्यक्ष नहीं मिला था। भाजपा को फिर से परंपरा वापस लाना चाहिए।ऑनलाइन नहीं बल्कि सभी विधायकों को सत्र में आने का मौका देना चाहिए। सत्र को हर रोज 18 घंटे चलाना चाहिए।
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