सीहोर। शहर में 6 जुलाई को नगर पालिका के चुनाव होने जा रहे हैं। 35 वार्डों में 149 प्रत्याशी मैदान में हैं। सभी अपने अपने तरीके से प्रचार कर रहे हैं। मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। कोई पंपलेट के माध्यम से तो कोई पोस्टर के माध्यम से अपने वार्ड के वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रहा है। मतदाताओ के मन में क्या चल रहा है यह उ मीदवार नही जान पा रहे हैं, मतदाता अभी तो सभी को अपना आर्शीवाद दे रहे हैं, सही पता तो अब चुनाव परिणाम ही बताएंगे। हालांकि आज शाम पांच बजे चुनावी शोरगुल पर विराम लग जाएगा इसके बाद उ मीदवार मतदाताओ के घर-घर जाकर दस्तक देंगे ओर मतदाताओ से अपने पक्ष में मतदान की अपील करेंगे। गौरतलब है कि पार्षद के लिए साढ़े चार लाख रुपये तक खर्च सीमा है। इसलिए उ मीदवार प्रचार सामग्री से लेकर वाहन में ज्यादा खर्च करने से बच रहे हैं। हालाकि प्रचार सामग्री के अलावा कार्यालय खर्च, साथ में रहने वालों के भोजन पानी का आदि के खर्च इसमें शामिल नहीं हैं। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार शहर के 35 वार्डों में प्रत्याशियों द्वारा वाहनों से कम ही प्रचार कराया जा रहा है। शहर में कुल 93 वाहन चले हैं, जिनकी अनुमति प्रशासन से ली गई है। प्रति वाहन रोजाना एक हजार रुपये तक खर्च हो रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग की टीम खर्च के हिसाब पर भी नजर रख रही है।
कई उ मीदवारों ने नहीं चलाए वाहन
नगर में पार्षद पद के उ मीदवारों को भी इस बार खर्च का हिसाब किताब देना है, इस कारण से कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने तो इस बार ज्यादा तामझाम से दूरी बनाए रखी, नगर पालिका सीहोर के लिए 149 उ मीदवार मैदान में हैं, इसमें से करीब 93 उ मीदवारों ने प्रचार वाहनों के लिए अनुमति ली है, शेष उ मीदवार तो घर-घर जाकर मतदाताओं से आर्शीवाद लेने में अधिक भरोसा रख रहे हैं, इस कारण से निकाय चुनावों में जो शोर शराबा रहता है, इस बार वह नहीं देखा जा रहा है।
पदाधिकारियों ने झोंकी ताकत
निकाय चुनाव में जहां कई टिकट नहीं मिलने से बागी हो चुके हैं, जिससे प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को भितरघात का डर सता रहा है, वहीं बागी हुए प्रत्याशी मतदाओं को अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है। हालत यह है कि दोनों ही प्रमुख दलों के पदाधिकारी भी वार्डो के भ्रमण पर देखे गए है। अपने-अपने समर्थक प्रत्याशियों को चुनाव जिताने के लिए अपील की। इसके साथ ही निर्दलीय उ मीदवारों ने भी अपनी पूरी ताकत झौंक दी है।
अब बढ़ी मुश्किल
परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कई पार्षद ऐसे हैं, जो इस बार भी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनका जनता से जुड़ाव नहीं रहा। अब फिर मतदाओं से आशीर्वाद लेने उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, तो मतदाता भी उन्हें खूब खरी खोटी सुना रहे हैं। हालांकि मतदाता अभी तक सबको अपना आर्शीवाद देने का वादा कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में क्या है, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
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