नई दिल्ली (New Delhi)। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने देशभर के 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (11 states and union territories) की 266 ऐसी सीटों (266 seats low voting) की पहचान की है, जहां पिछले आम चुनाव में वोटिंग प्रतिशत (Voting percentage in general elections) राष्ट्रीय औसत (67.40) से कम रहा था। इनमें 215 ग्रामीण और 51 शहरी संसदीय क्षेत्र शामिल हैं। आयोग ने इन संसदीय सीटों पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने (increase voting percentage) के प्रयास तेज कर दिए हैं। आयोग ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की तैयारियों के बीच शुक्रवार को कुछ प्रमुख शहरों के नगर निगम आयुक्तों और चुनींदा क्षेत्रों के जिला निर्वाचन अधिकारियों का एक सम्मेलन किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने सम्मेलन के दौरान मतदान केंद्रों पर सुविधा मुहैया कराने की त्रीस्तरीय रणनीति पर जोर दिया। इसमें मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाना, कतार प्रबंधन और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पार्किंग की उचित व्यवस्था मुहैया कराना और आरडब्ल्यूए, स्थानीय हस्तियों और प्रभावशाली युवाओं की भागीदारी के जरिये जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
उत्तर प्रदेश के मतदाता दिखे ज्यादा उदासीन
नौ राज्यों में सबसे कम मतदान वाले कुल 50 ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों की बात करें तो इसमें से 40 अकेले उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। मतदान के प्रति उदासीनता में यूपी के वोटर ज्यादा आगे रहे। यूपी में जहां ऐसी सीटों की संख्या 22 थी, बिहार में यह आंकड़ा 18 रहा। यूपी के 51-फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.7 फीसदी मतदान हुआ जबकि बिहार में 29- नालंदा सीट पर सबसे कम 48.79 फीसदी मतदान हुआ। ऐसे में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई है।
29.7 करोड़ लोगों ने नहीं डाला वोट
चुनाव आयोग के मुताबिक, राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाली ये सीटें बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और झारखंड समेत 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आती हैं। पिछले चुनाव में करीब 29.7 करोड़ पात्र मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया।
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