भोपाल। देश में लोकसभा, विधानसभा चुनावों के लिए करीब 20 साल पहले बनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग की समयसीमा अब खत्म हो चुकी है इसलिए भारत निर्वाचन आयोग ने इनका उपयोग रोक दिया है। देशभर से इन्हें वापस भी मंगवाया जा रहा है। मॉडल-1 यानी एम-1 टाइप की इन ईवीएम को नष्ट किया जाएगा। एम-1 की जगह अब कई सुधारों के साथ एम-3 मशीन आ चुकी है। ऐसे में पुरानी ईवीएम का कोई उपयोग नहीं रह गया है। मध्य प्रदेश से 50 हजार से अधिक एम-1 ईवीएम मंगवाई गई हैं। दरअसल, भारत सरकार के अधीन काम करने वाली देश में ईवीएम बनाने की दो कंपनियां हैं। इनमें एक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) है जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। दूसरी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (इसीआइएल) है। इसका मुख्यालय हैदराबाद में है। आयोग के निर्देश के बाद दोनों कंपनियों ने देश के विभिन्न जिलों में पहले से रखी एम-1 ईवीएम को वापस मंगवाने का काम शुरू कर दिया है।
नई मशीन में अपने आप खराबी जांचने वाली व्यवस्था
एम-1 के बाद एम-2 और अब एम-3 ईवीएम आ चुकी है। एम-3 में ऑटो डायग्नोस्टिक सिस्टम (खुद खराबी बताने वाला सिस्टम) दिया गया है। एम-1 मशीन में किस बटन में खराबी है, यह तलाशना मुश्किल होता था। पूरी मशीन खोलकर देखने से ही तकनीकी खराबी पकड़ में आती थी। मतगणना के दौरान यदि एम-1 मशीन में तकनीकी खराबी आ जाती थी तो मतों की संख्या नहीं दिखती थी। तब मशीन से प्रिंटर को जोड़कर मतों की आगे की गिनती होती थी। कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवारों को यह आशंका होती थी कि प्रिंटर में पहले से ही कोई हेराफेरी रही होगी। जबकि नई ईवीएम में मतगणना के दौरान खराबी आती है तो वीवीपैट की पर्चियों से मिलान करने की सुविधा है। पुरानी मशीन में हर बार समय और तारीख सेट करनी पड़ती थी। नई मशीन में ऑटो क्लॉक होने से यह काम अपने आप हो जाता है। वहीं अधिक क्षमता वाली आधुनिक बैटरी भी इसमें लगाई गई है।
सभी राज्यों को भेजा निर्देश
बताया जाता है कि इन मशीनों को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा। नई मशीनें आने के बाद पुरानी संभालने की भी थी जिम्मेदारी पुरानी मशीनों को हटाने के लिए आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे। इसके बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर मशीनें भेजने के लिए कहा। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि हर जिले में पुरानी मशीनों ने सरकारी कार्यालयों में जगह घेरकर रखी हुई हैं। नई ईवीएम आने से पुरानी मशीनों को संभालने की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी जिला प्रशासन पर थी।
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