इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके ही देश के चुनाव आयोग (ECP) ने जमकर लताड़ लगाई है। चुनाव आयोग ने अपने बयान में इमरान पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ही चुनाव में जहां जीत मिली वहां तो वाह-वाह किया लेकिन जब हार गए तो सवाल उठाने लगे। दरअसल, पाकिस्तानी सीनेट के उपचुनाव में अपने वित्तमंत्री की हार से बौखलाए इमरान खान ने गुरुवार को अवाम को संबोधित करते हुए खूब रोना रोया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग के मिलीभगत से सीनेट के इलेक्शन में गुप्त मतदान हुआ। इस कारण उनकी पार्टी के कई सांसद बिक गए और वित्तमंत्री अब्दुल हफीज शेख को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने बयान जारी कर कहा कि यह एक चौंकाने वाला मामला है कि एक ही छत के नीचे एक ही चुनाव में एक ही स्टाफ के तहत जिसमें उन्होंने जीत हासिल की है वह तो स्वीकार्य है और जो वे हार गए, वो अस्वीकार्य है? चुनाव आयोग ने सवाल किया कि क्या यह खुला विरोधाभास नहीं है? आयोग ने इमरान खान के उस दावे को भी नकार दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग ने विपक्ष को बेइमानी से वोट हासिल करने में सहायता की।
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि यह लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव और मुक्त चुनावों की सुंदरता है, जिसे पूरे देश ने देखा है और जिसे संविधान द्वारा अनिवार्य किया गया है। आयोग ने यहां तक कहा कि हर राजनीतिक दल और राजनेता के अंदर हार मानने का साहस होना चाहिए। आयोग ने कहा कि अगर कोई हमारे परिणामों से असहमत है, तो उन्हें सबूत के साथ आगे आना चाहिए।
पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने कहा कि अगर हम आपकी सिफारिशों को सुन सकते हैं, तो हम आपकी शिकायतें क्यों नहीं सुन सकते? हम पर कीचड़ न फेंके। कुछ विचार करें। ECP ने कहा कि सीनेट चुनाव कानून और संविधान के अनुसार आयोजित किए गए थे और अच्छे तरीके से आयोजित किए गए थे। आयोग ने कहा कि मीडिया में राजनेताओं के आए बयान दुखद हैं, विशेषकर संघीय मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों और प्रधानमंत्री इमरान खान ने कल अपने संबोधन में जो कहा।
इमरान खान ने गुरूवार को देश के नाम संबोधन में पाकिस्तानी चुनाव आयोग को विपक्षी दलों के साथ खड़ा होने वाला करार दिया था। दरअसल, इमरान खान को हार का ठीकड़ा फोड़ने के लिए चुनाव आयोग से बेहतर कोई दूसरा नहीं लगा। उन्होंने कहा कि आजतक सीनेट के उपचुनाव प्रत्यक्ष वोटिंग के जरिए होते थे। इस बार विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इसे अप्रत्यक्ष तरीके से करने का अनुरोध किया। जिसे पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने भी समर्थन दिया। ये सभी लोग अप्रत्यक्ष चुनाव कराकर हमारे सांसदों को खरीदने की कोशिश करना चाहते थे, जिसमें वे सफल हुए।
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