एक ही विभाग के तीन कार्यालयों से मिले अलग-अलग आंकड़े
इंदौर। कांग्रेस (Congress) द्वारा फर्जी मतदाताओं (fake voters) के नाम सूची में जोडऩे को लेकर लगाए गए आरोप के बाद कई नाम विलोपित तो कर दिए गए, लेकिन उसकी सूची कांग्रेस (Congress) को उपलब्ध नहीं कराई गई। कांग्रेस ने जब सूची मांगी तो निर्वाचन विभाग के तीन अलग-अलग कार्यालयों से अलग-अलग आंकड़े दे दिए गए, जिसमें 55 हजार से अधिक मतदाताओं का अंतर आ रहा है। अब एक बार फिर कांग्रेस (Congress) ने यह सूची निर्वाचन आयोग से मांगी है।
2 अगस्त को जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया और 31 अगस्त तक इसका पुनरीक्षण होना है। इसके पहले भी विभाग मतदाता सूची जारी कर चुका है, लेकिन इस बार जो सूची जारी की गई है, उसमें 57 हजार 593 नाम विलोपित करना तो बताया गया है, लेकिन उसकी सूची कांग्रेस को उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस मामले में कांग्रेस की ओर से बनाए गए मतदाता सूची प्रभारी दिलीप कौशल ने निर्वाचन आयोग को शिकायत की है और आयोग ने 15 दिन में इंदौर के निर्वाचन अधिकारी से जवाब मांगा है। कौशल ने बताया कि 1 मई को जारी की गई सूची से 2 अगस्त को जारी की गई सूची का मिलान करने पर विलोपित किए जाने वाले मतदाताओं का आंकड़ा अलग-अलग मिला है। इसके पहले 5 जनवरी को जारी सूची में 1 लाख 36 हजार 522 नाम विलोपित किए जाने की जानकारी दी गई थी। वहीं मध्यप्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा 45 हजार 491 मतदाता विलोपित होना बताए गए। इसके साथ ही भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भी जानकारी दी गई, जिसमें उन्होंने 78,929 मतदाताओं के नाम विलोपित होने की जानकारी दी है। इन आंकड़ों में 57 हजार 593 हजार नामों का अंतर है। इसी को लेकर कांग्रेस ने शंका व्यक्त की है कि अलग-अलग आंकड़े कैसे आए। इसको लेकर जानकारी मांगी गई है। इस मामले में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी इलैयाराजा टी से भी कांग्रेस के नेता मिल चुके हैं। कौशल का कहना है कि सही आंकड़ें और विलोपित किए गए नामों की सूची मिले तो मतदाता सूची सही हो पाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
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