भोपाल। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे बड़े नेताओं के दौरे बढ़ते जा रहे हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी इसी महीने महाकौशल के दौरे पर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि यहीं से भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने चुनाव अभियान का आगाज करेंगी। 2018 के पहले महाकौशल भाजपा का गढ़ माना जाता था। लेकिन, 2018 के आंकड़े भाजपा के लिए बेहद चौंकाने वाले थे। इसके चलते भाजपा अपनी खोई जमीन को वापस पाने के लिए जी जान से जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून विश्व योग दिवस पर महाकौशल के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान वे महाकौशल के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी भी 12 जून को महाकौशल आ रही हैं। वे यहां विधिवत कांग्रेस के चुनावी अभियान का आगाज करेंगी। इस दौरान वह कांग्रेस के महिला वचन पत्र को भी जारी करेंगी। गौरतलब है कि महाकौशल में 38 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2018 के चुनाव में कांग्रेस को यहां 24 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि, भाजपा को महज 12 सीटों पर जीत मिली थी। साल 2013 के आंकड़े इसके उलट थे।
महाकौशल पर सियासत
महाकौशल के दौरों पर कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद जाट का कहना है कि प्रियंका गांधी एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए जबलपुर आ रही हैं। यह माना जा सकता है कि यह मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान का आगाज है। इसके साथ ही कांग्रेस ने आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए विशेष वचन पत्र तैयार किया है। उसे भी प्रियंका इसी दिन जारी करेंगी। जाट ने कहा कि प्रधानमंत्री इस साल तीसरी बार आ रहे हैं। जब वह पहली बार आए तो कूनो में चीते छोड़े, दूसरी बार आए तो महाकाल लोक का उद्घाटन किया और तीसरी बार वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि महाकाल लोक में जिस तरीके से भ्रष्टाचार हुआ, कूनो में जिस तरीके से चीतों की मौत हो रही है और वंदे भारत ट्रेन दुर्घटनाओं का शिकार हो रही है, उस पर कांग्रेस उनसे कुछ वाजिब सवाल पूछ रही है। क्या प्रधानमंत्री महाकौशल के दौरे पर इन घटनाओं के बारे में भी कुछ वक्तव्य देंगे।
पार्टी के प्रचार की कमान संभाली
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा का कहना है कि प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में भी पार्टी के प्रचार की कमान संभाली और पार्टी को दोनों राज्यों में जीत मिली। प्रियंका गांधी की जबलपुर में पहली रैली के पीछे एक भी खास वजह है। चूंकि मालवा और मध्य भारत के इलाकों में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने व्यापक जनसंपर्क किया था। इस वजह से प्रियंका गांधी की रैली के लिए महाकौशल के एपीसेंटर जबलपुर को चुना गया है।
सत्ता की चाबी पांच इलाकों में बंटी
राजनीतिक जानकर कहते है कि मध्यप्रदेश में सत्ता की चाबी मुख्यत: पांच इलाकों में बंटी है।प्रदेश को भौगोलिक रूप से महाकोशल, ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत, निमाड़-मालवा, विंध्य और बुंदेलखंड इलाके में बांटा गया है।इन इलाकों में जातीय और सामाजिक समीकरण तो अलग-अलग हैं ही,साथ में दोनों दलों के क्षत्रपों का प्रभाव भी है।दरसअल, महाकोशल में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले आते हैं।यहां के परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं।
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