नई दिल्ली। दुनिया के शोधकर्ताओं ने 3500 साल पुरानी एक ममी के शरीर को खोलकर (Uncovering the body of a 3500 year old mummy) आधुनिक स्कैनिंग तकनीक के माध्यम से उसका अध्ययन (its study through modern scanning techniques) किया है. यह ममी मिस्र के राजा फिरौ अमेनहोटेप प्रथम (Mummy Egyptian King Pharaoh Amenhotep I) की है. आश्चर्य की बात ये है कि ममी के दांत और कान की हड्डियां पूरी तरह से सुरक्षित(Mummy’s teeth and ear bones completely safe) हैं.
काहिरा विश्वविद्यालय में मेडिकल डिपार्टमेंट में रेडियोलॉजी(Radiology in the Medical Department at Cairo University) की प्रोफेसर सहर सलीम उस टीम का हिस्सा हैं, जिसने डिजिटल रूप से अमेनहोटेप प्रथम के ममी को सफलतापूर्वक खोला है. सलीम ने बताया कि अपनी पतली ठुड्डी, छोटी नाक और घुंघराले बालों के साथ ममी शारीरिक रूप से अपने पिता जैसा दिखता है.
राजा फिरौ अमेनहोटेप प्रथम की ये ममी उन एकाध ममियों में से है, जिन्हें आधुनिक समय में निकाला गया है. 3डी कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैनिंग तकनीक का उपयोग कर इसका अध्ययन किया गया, जिसके परिणाम अभूतपूर्व और रोचक हैं. इस तकनीक से ममी के शरीर की बनावट और उसके साथ दफनाए गए कीमती गहनों का पता चला है. सहर सलीम ने बताया, ‘हमने देखा कि अमेनहोटेप प्रथम लगभग 35 वर्ष का था जब उसकी मृत्यु हो गई. वो लगभग 169 cm लंबा (5फीट 6इंच) था. उसका खतना हुआ था, और उसके दांत अच्छे हालात में थे. अपने गले में लपेटन के भीतर उसने 30 ताबीज पहन रखे थे. उसने सोने के मोतियों से बनी एक अनोखी सुनहरी कमरबंद पहनी थी. सहर सलीम ने कहा कि 3,500 साल पुरानी ममी इतनी अच्छी हालत में है कि इसके ममीकरण की प्रक्रिया (प्राचीन मिस्त्र में शवों को दफनाने और सुरक्षित रखने की प्रक्रिया) पर आश्चर्य होता है. उसके कान की छोटी हड्डियां भी सुरक्षित हैं. सलीम ने कहा कि कई शाही ममियों के दांत खराब थे लेकिन अमेनहोटेप प्रथम के दांत काफी अच्छे थे. अमेनहोटेप प्रथम 18वें राजवंश का दूसरा राजा था और अपने पिता अहमोस प्रथम की मृत्यु के बाद राजा बना था. उसने 1525 और 1504 ईसा पूर्व के बीच लगभग 21 वर्षों तक मिस्र पर शासन किया. पुरातत्वविदों का कहना है कि डिकोडेड चित्रलिपि से पता लगता है कि अमेनहोटेप को 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व में 21 वीं राजवंश के दौरान ममी से निकाला गया था. मकबरे के लुटेरों ने अमेनहोटेप की ममी को नुकसान पहुंचाया था जिसकी मरम्मत के लिए पुजारियों ने उसे निकाला था. यह भी अनुमान लगाया गया था कि अमेनहोटेप के साथ दफनाए गए कीमती शाही वस्तुओं का पुन: उपयोग करने या गहने चोरी करने के लिए पुजारियों ने ममी को खोल दिया था. हालांकि अब नए अध्ययन से स्थिति साफ हो गई है. सलीम ने कहा कि उनके निष्कर्षों ने उन सिद्धांतों को खारिज कर दिया और दिखाया कि पुजारियों के इरादे सबसे अच्छे थे. सहर सलीम की टीम इस बात का सबूत खोज रही है कि राजा अमेनहोटेप की मौत कैसे हुई लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है. सलीम ने कहा कि ममी के शरीर पर किसी तरह का कोई घाव नहीं था और न ही किसी बीमारी के सबूत मिले हैं. उसके मरने के बाद लुटेरों ने उसके शरीर को संभवतः कुछ घाव दिए थे. सलीम ने आगे बताया, ‘हमने पाया कि 21वें राजवंश के पुजारियों ने अमेनहोटेप प्रथम को मकबरे के लुटेरों द्वारा पहुंचाई गई चोटों की मरम्मत प्यार से की. राजा के ममी को पहले जैसा शानदार बनाया और कीमती आभूषण और ताबीज को उनकी जगह पर संरक्षित किया.’