इंदौर। प्राधिकरण की योजना 171 की गुत्थी सालों से सुलझ नहीं सकी है, क्योंकि इसमें शामिल एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाएं विवादित रही है, जिनकी जमीनों को चर्चित भूमाफियाओं ने हड़प लिया। अब प्राधिकरण इस योजना को मुक्त कराने के लिए डीनोटिफिकेशन करवाया जा रहा है, जिसके लिए शासन ने भी पिछले दिनों मार्गदर्शन भेजा, जिसके आधार पर प्राधिकरण बोर्ड प्रस्ताव पारित कर दावे-आपत्तियों को बुलवाने की प्रक्रिया करेगा। वहीं इस योजना में शामिल देवी अहिल्या गृह निर्माण के अलावा न्याय नगर कर्मचारी गृह निर्माण संस्था की वरीयता सूची भी तैयार की जा रही है, ताकि पात्र-अपात्रों का निर्धारण हो सके। कल विधायक महेन्द्र हार्डिया के साथ कलेक्टर आशीष सिंह, प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार और सहकारिता विभाग के उपायुक्त मदन गजभिये की बैठक भी हुई।
प्रदेश शासन ने लैंड पुलिंग पॉलिसी घोषित की, जिसके चलते प्राधिकरण की पुरानी योजनाएं भी पहले तो समाप्त हुई, उसके बाद टीपीएस के तहत उन्हीं जमीनों पर नई योजनाएं घोषित कर दी गई। मगर योजना 171 को इसलिए समाप्त नहीं किया था, क्योंकि इसकी जमीनें भूमाफियाओं के कब्जे में रही। देवी अहिल्या, मजदूर, पंचायत, न्याय नगर से लेकर सूर्या गृह निर्माण, रजत गृह निर्माण, त्रिशला गृह निर्माण, महिराज, लक्ष्मण नगर सहित एक दर्जन से अधिक संस्थाएं विवादित रही हैं, जहां पर भूखंड पीडि़तों की जमीनें भूमाफियाओं ने बेच दी।
हालांकि इनमें से कुछ जमीनें सरेंडर करवाई और अभी पिछले दिनंों ही देवी अहिल्या की कॉलोनी अयोध्यापुरी और श्री महालक्ष्मी नगर की ढाई लाख स्क्वेयर फीट से अधिक जमीनों पर हुई अवैध रजिस्ट्रियों को कोर्ट ने भी शून्य कर दिया। दूसरी तरफ पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए विधायक महेन्द्र हार्डिया एक बार फिर जुटे और कल कलेक्टर आशीष सिंह के साथ चर्चा की, जिसमें राजगृही, न्याय नगर, श्री महालक्ष्मी नगर, पुष्प विहार, अयोध्यापुरी के पीडि़तों का मामला उठा। प्राधिकरण सीईओ श्री अहिरवार और उपायुक्त सहकारिता श्री गजभिये भी मौजूद रहे। यह निर्णय लिया गया कि जल्द ही प्राधिकरण डीनोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करे, ताकि इन संस्थाओं को एनओसी मिल सके। अभी सिर्फ कब्जे हैं, मगर भवन निर्माण सहित अन्य अनुमतियां नहीं मिल पा रही है। अब प्राधिकरण बोर्ड शासन से मिले मार्गदर्शन के आधार पर योजना 171, 77 सहित अन्य को डीनोटिफाइड करने पर निर्णय लेेगा और फिर प्रशासन तथा सहकारिता विभाग से प्राप्त भूमि स्वामी सहित अन्य रिकॉर्डों के आधार पर दावे-आपत्तियां आमंत्रित की जाएगी।
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