इंदौर। अभी भाजपा (BJP) कार्य समिति (Working Committee) की घोषणा की गई, जिसमें पहले जाति आधारित सूची (Caste Based List) जारी कर दी और बवाल मचने पर नई सूची जाति कॉलम हटाकर जारी करना पड़ी। लगभग पिछले एक साल से शहर और ग्रामीण इकाई ( Rural Unit) की घोषणा भी भाजपा नहीं कर पाई है, जिसमें सभी गुटों को साधने के लगातार प्रयास किए जारहे हैं। 21 पदों के लिए 153 से अधिक दावेदारों कीसूची है। शहर और ग्रामीण दोनों ही के लिए इतने ही पद रहेंगे और दावेदार भी कम नहीं हैं। सबसे ज्यादा मारामारी महामंत्री पद के लिए मची है, जिसमें तीन पदों के लिए 30 से ज्यादा दावेदार हैं। ग्रामीण की तुलना में शहर में अधिक परेशानी है, क्योंकि गुटबाजी भी भीषण है। ताई, भाई, मोघे जी से लेकर तमाम बड़े नेताओं के अपने-अपने गुट बन गए हैं जो अधिक से अधिक पद समर्थकों को दिलाना चाहते हैं।
तख्तापलट के बाद भाजपा सरकार (BJP Government) बने को 14 माह से ज्यादा हो गए हैं। हालांकि मंत्रिमंडल पद भी कुछ खाली हैं और इंदौर से भी पर्याप्त नेतृत्व नहीं मिल सका। यहां तक कि प्रबल दावेदार माने गए रमेश मेंदोला (Ramesh Mendola) भी स्थान नहीं पा सके। दूसरी तरफ निगम, मंडल, प्राधिकरणों में भी नियुक्तियां अटकी पड़ी है और हर बार शासन से लेकर संगठन सांसद, विधायकों और पदाधिकारियों को जल्द ही नियुक्ति करने का लालीपॉप थमा देता है। कोरोना संक्रमण के चलते नगरीय निकायों के चुनाव भी आगे बढ़ गए। वहीं शहर और ग्रामीण कार्यकारिणी का भी गठन नहीं हो सका। शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के पास दावेदारों की लम्बी सूची है। लगभग 21 पदों के लिए 153 से अधिक दावेदार बताए जा रहे हैं। दूसरी तरफ जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश सोनकर के पास भी दावेदार कम नहीं हैं, मगर उन्होंने पिछले दिनों सभी वरिष्ठ नेताओं, सांसद-विधायकों से चर्चा भी कर ली और आसानी से सबको साथ लेकर ग्रामीण इकाई की घोषणा जल्द कर दी जाएगी। मगर सबसे बड़ा पेंच शहर इकाई के मामले में फंसा है, क्योंकि सारे ही गुट शक्तिशाली हैं और कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। तीन पद महामंत्री के, तो 8 पद उपाध्यक्ष के और इतने ही 8 पद मंत्री के हैं, तो इसके अलावा कोषाध्यक्ष, कार्यालय मंत्री और नगर मीडिया प्रभारी का है। इनमें सबसे ज्यादा मारामारी महामंत्री पद के लिए है, जिसके तीन पदों के लिए 30 से अधिक दावेदार हैं। वहीं उपाध्यक्ष, मंत्री सहित अन्य पदों के लिए भी सांसद, विधायकों और अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पूरी तवज्जोदेना पड़ेगी और उनके बताए गए समर्थकों की नियुक्तियां की जाना है। कैलाश विजयवर्गीय, कृष्णमुरारी मोघे से लेकर सांसद शंकर लालवानी, सभी विधायक और पार्टी पदाधिकारियों के साथ-साथ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सांसद रही सुमित्रा महाजन के समर्थकों को भी लेना पड़ेगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के बाद गठन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, मगर उसके बाद फिर अभी दूसरी लहर के चलते सभी उसी में व्यस्त हो गए और अब जब शहर और ग्रामीण क्षेत्रों को भी खोल दिया गया है तो उसके साथ कार्यकारिणी की घोषणा जल्द करने का दबाव भी समर्थकों द्वारा बनाया जा रहा है। इंदौर के कई भाजपा नेताओं के सम्पर्क सूत्र भोपाल से लेकर दिल्ली तक हैं। यही कारण है कि उनके समर्थकों को पद दिलवाने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक दबाव स्थानीय और प्रदेश इकाई पर बनाया जाता रहा है। हालांकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन कमेटियों को बनवाकर वार्ड स्तर तक के कार्यकर्ताओं को कुछ काम दिया, क्योंकि नगर निगम के चुनाव आगे बढऩे के चलते सभी दावेदार और उनके समर्थक लगभग फ्री ही हो गए थे। उसके बाद कोरोना संक्रमण रोकने, वैक्सीनेशन अभियान से जोडऩे के अलावा राशन बंटवाने की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं कोसौंप रखी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved