वाशिंगटन। अमेरिका(America) ने अफगानिस्तान(Afghanistan) में राष्ट्रपति निवास पर एक दिन पहले दागे गए रॉकेट की कड़े शब्दों में निंदा की है। अमेरिका(America) की तरफ से कहा गया है कि अफगानिस्तान(Afghanistan) के लोग देश में अमन और शांति चाहते हैं। ये सब छोड़कर देश में शांति स्थापना के लिए राजनीतिक समाधान (Political Solutions for Peacekeeping) की राह मजबूत करनी चाहिए।
बता दें कि अफगानिस्तान(Afghanistan) में मंगलवार राष्ट्रपति निवास (presidential residence) के तीन रॉकेट उस वक्त गिरे थे जब वहां पर ईद की नमाज अदा की जा रही थी। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ था। इस घटना के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी(President Ashraf Ghani) ने कहा था कि तालिबान (Taliban) किसी भी तरह से शांति का पक्षधर नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि शांति वार्ता के लिए उसके पास आखिरी मौका है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काफी समय अफगानिस्तान(Afghanistan) के नागरिक बिना मतलब की हिंसा को झेलने को मजबूर हो रहे हैं। एक वीडियो में दिखाया गया है कि राष्ट्रपति गनी अन्य लोगों के साथ रॉकेट हमले के बावजूद घबराए नहीं और ईद की नमाज अदा करते रहे। इस हमले की फिलहाल किसी ने अब तक जिम्मेदारी नहीं ली है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि अब ये हिंसा खत्म होनी चाहिए। अफगानिस्तान के लोगों को देश में शांति स्थापना के प्रयासों के लेकर एकजुट होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान की मंशा का समर्थन करता है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति निवास के करीब मंगलवार को हमला ऐसे समय में किया गया जब तालिबान अफगानिस्तान के दो तिहाई इलाके पर कब्जा कर चुका है। तालिबापन के एक नेता ने पिछले दिनों मास्कों में देश के 80 फीसद से अधिक पर कब्जा करने का दावा किया था। गौरतलब है कि जब से अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी फौजों को वापस ले जाने की कवायद शुरू की है तब से देश के विभिन्न हिस्सों में तालिबान के हमले भी बढ़ गए हैं। अमेरिका ने 11 सितंबर से पहले अपनी सारी फौज को वापस ले जाने की घोषणा की है। तालिबान से हुए समझौते के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो फौज ने अफगानिस्तान से अपनी फौजों को निकालना शुरू कर दिया है। अमेरिका की तरफ से कहा गया है कि अफगानिस्तान के लोग 4 दशकों से भी अधिक समय से हिंसा से भरे माहौल को बर्दाश्त करने को मजबूर हो रहे हैं। प्राइस ने कहा है कि दोहा में तालिबान और अन्य सदस्यों के बीच हुई 17-18 जुलाई की बैठक में कई सकारात्मक कदम उठाए गए थे। दोनों ही तरफ से देश में फैली हिंसा को रोकने के लिए राजनीतिक समाधन को बढ़ाने पर सहमति जताई गई थी। लेकिन जिस तरह की चीजें सामने आ रही हैं उसको देखते हुए जल्द की कुछ करने की जरूरत है। हर बार हुई बैठक में दोनों ही पक्षों ने नागरिकों की रक्षा करने की बात कही थी।