नई दिल्ली: देश भर में दशहरा उत्सव की धूम है. इस बार 5 अक्तूबर को दशहरा मनाया जाएगा और हर साल की तरह रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाएगा. लोग हर दशहरे पर इन पुतलों के दहन का आनंद लेते हैं, लेकिन इन्हें बनाने में कई दिन की मेहनत लगती है.
काफी मशक्कत और कलाकारी के बाद ये पुतले तैयार होते हैं. दिल्ली के सुभाष नगर टैगोर गार्डन इलाके में बड़ी संख्या में कलाकार रावण के पुतले बना रहे हैं. यह दिल्ली का सबसे बड़ा रावण बनाने वाला बाजार है, जहां पर रावण समेत अन्य के पुतले बनाकर देश के अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं.
कहां कहां से आ रही डिमांड
पुतले बनाने वाले कलाकारों ने बताया कि हिमाचल के ऊना और मंडी से भी डिमांड आई थी और पुतले भेजे गए हैं. इसके अलावा, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान में अलग-अलग राज्यों में रावण बनाकर भेजे जाते हैं. कलाकारों ने बताया कि इस बार ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों में दशहरा पर्व को लेकर जोश और उत्साह है.
वहां से रावण के पुतले बनाने के लिए दिल्ली में रहने वाले कारीगरों को विशेष ऑर्डर मिल रहे हैं. पहले दिल्ली से मुंबई और मुंबई से शिप के माध्यम से ये पुतले ऑस्ट्रेलिया पहुंचाए गए हैं. कलाकारों ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट आई थी, लेकिन अब दोबारा मूर्तिकारों को बिक्री से अच्छी कमाई हो रही है और मार्केट में उछाल है औऱ वह लोग खुश हैं.
बम्बू आर्ट एंड क्राफ्ट को बढ़ावा
कलकार बॉर्बी ने बताया कि बम्बू आर्ट एंड क्राफ्ट को बांस हस्तशिल्प के रूप में भी जाना जाता है. इस उद्योग को हस्तशिल्प उद्योग के रूप में जाना जाता है. मौजूदा दौर में हस्तशिल्प पर मशीनीकरण का काम ज्यादा हावी है और हस्तकला बांस के इस्तेमाल से रावण बनाना अपने आप में अद्भुत है. इससे हस्तशिल्प उद्योग के माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं. इस उद्योग को चलाने के लिए बड़े-बड़े कारखानों की जरूरत नहीं है, बस सड़क किनारे कहीं एकांत में बांस से देश की संस्कृति और धर्म के बारे में प्रचार किया जा सकता है.
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