कई मरीज घरों में ताला लगाकर भागे
इंदौर। 31 मई तक 5 फीसदी से कम संक्रमण दर घटाने के चक्कर में ज्यादतियां भी शुरू हो गईं। खासकर होम आइसोलेशन (Home isolation) में इलाज करवा रहे लोगों को जबरिया कोविड केयर सेंटरों में भिजवाया जा रहा है। हालांकि घने क्षेत्रों और छोटे मकानों के लोगों के लिए तो यह निर्णय ठीक भी है।
दो दिन से चल रही इस कवायद का असर यह भी हुआ कि कुछ लोग टीम आने के डर से ताला लगाकर कहीं और चले गए तो कुछ होम आइसोलेशन (Home isolation) के मरीज अस्पतालों में जाकर भी भर्ती हो गए। अभी संक्रमित इलाकों को कंटेन्मेंट झोन बनाया जा रहा है, जहां आवाजाही भी प्रतिबंधित कर दी गई है। कई जगह रहवासियों ने इसका विरोध भी शुरू किया। महावर नगर में ही कल बड़ी संख्या में रहवासी बाहर निकल आए और नगर निगम की टीम का विरोध किया। दरअसल संक्रमित मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अमले के पास मौजूद है, जिसके चलते होम आइसोलेशन (Home isolation) के मरीजों की शिफ्टिंग और उन इलाकों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है। दरअसल कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center) में लोग नहीं जाना चाहते। कई लोग तो 10 दिनों से घरों में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ भी। उनका कहना है कि वे जबरन क्यों कोविड सेंटर जाएं?
अब टेस्टिंग से बचेंगे और ज्यादा फैलाएंगे संक्रमण
गत वर्ष जब कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई तब 1 मरीज मिलने पर ही कालोनी या बिल्डिंग को सील कर सारे परिवार के लोगों को क्वारेंटाइन सेंटरों पर शिफ्ट कर दिया जाता था। तब कई लोगों ने टेस्टिंग से बचते हुए घरों में ही इलाज शुरू किया। उसी तरह की स्थिति अब फिर निर्मित हो सकती है। अगर जिनके पास होम आइसोलेशन की सुविधा है, उन्हें भी अगर कोविड केयर सेंटरों पर शिफ्ट किया तो अब सर्दी-जुकाम, बुखार के मरीज टेस्टिंग से बचेंगे और ज्यादा संक्रमण भी फैलाएंगे।
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