जबलपुर। आमजन को सुविधा युक्त सफर देने के लिए 10 वर्ष पहले 23 करोड़ की लागत से मेट्रो बस सेवा को शहर शुरु किया गया था। शुरुआत में 119 बड़ी और छोटी मेट्रों बसों को शुुरु किया था, जिनके समंचाल का जिम्मा जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड को सौंपा गया था। बसों के शुरु होने से नौकरीपेशा, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों आदि सभी वर्ग के लोगों को सुविधा हो गई थी। लेकिन बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के चलते मेट्रों बसों को यात्रि नहीं मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के कारण मेट्रों बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या आधे से भी कम हो गई है। यही कारण है कि संचालित होने वाली आधे से ज्यादा बसें डिपो में खड़ी हो गई है। मेट्रों बसों का संचालन कम होने के कारण ऑटो-टैक्सी वाले यात्रियों से मनमाना किराया वसूल करने आमादा हैं। अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों की संख्या घटने के साथ ही शहर में बन रहे फ्लाई ओवर के कारण भी उक्त मार्गों पर बड़ी बसों का संचालन बंद कर दिया गया है।
समय पर नहीं होता मेंटनेंस
116 बड़ी-छोटी मेंट्रो बसों को जेसीटीएसल द्वारा 4 ऑपरेटरों को बसों को े संचालन के लिए दिया है। जिसमें मां नर्मदा ट्रांसपोर्ट द्वारा 35, सतगुरु ट्रांसपोर्ट 34, जैन ट्रांसपोर्ट 7, मीसर जॉन कॉम टेक्नोलॉजी द्वारा 42 बसें संचालित की जाती हैं। लेकिन ऑपरेटरों द्वारा समय पर मेंटनेंस कार्य न कराने के कारण बहुत सी बसें लंबे समय से खराबी के कारण डिपों में खड़ी हो गई हैं और खस्ताहाल हो रही हैं। अकसर यह भी देखा जाता है कि मेंटनेंस के कारण कई बसें खराबी आने के कारण बीच रास्ते में ही बंद पड़ जाती हैं। लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते।
कम हुई यात्रियों की संख्या
अधिकारियों ने बताया कि फरवरी 2020 से पहले शहर में लगभग 100 बसे सड़कों पर दौड़ रही थी। उस दौरान मेट्रो बसों में रोजाना लगभग 40 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते थे। मार्च अप्रैल में जैसे ही शहर में कफ्र्यू लगा बसों के पहिए जाम हो गए। जैसे तैसे शहर अनलॉक हुआ कोरोना संकट से उभरने के बाद जब पुन: जन-जीवन पटरी में आया। लेकिन अब यात्रियों की संख्या घटकर आठ से दस हजार ही रह गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में सिर्फ 60 बसों को संचालित किया जा रहा है।
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