उज्जैन। उज्जैन शहर को शिक्षा के हब के नाम से भी पहचान मिली हुई है। यहां लाखों छात्र अपने सुनहरे भविष्य के लिए स्कूल-कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे रहते हैं। त्योहारों में बाहर के विद्यार्थी अपने घरों की ओर लौटने का रुख करते हैं। दो दिन बाद अष्टमी, नवमी और दशहरा रहेगा, जिसके चलते छात्रों ने अपने घरों की ओर रवाना होना शुरू कर दिया है, जिससे कॉलेज कैंपस और होस्टल खाली-खाली नजर आना शुरू हो गए हंै।कई बाहरी मजदूर भी अपने घरों को जा रहे हैं।
देवी आराधना के पर्व नवरात्रि का उत्साह चरम पर चल रहा है। शुक्रवार को अष्टमी और नवमी एक साथ मनाई जा रही है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाएगा, इसलिए बाहर के रहने वाले हजारों विद्यार्थी अब अपने घरों की ओर त्योहार मनाने के लिए लौटना शुरू हो गए हैं। कॉलेज और होस्टल में विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है। आने वाले दो दिनों में 70 फीसदी विद्यार्थी अपने घरों की ओर लौट जाएंगे। इसमें वह छात्र ज्यादा उत्साहित हैं, जो पहली बार कॉलेज या स्कूल में एडमिशन के लिए यहाँ पहुंचे थे। उधर, होस्टल में मैस संचालकों की ऐसे त्योहारी सीजन में बल्ले-बल्ले हो जाती है, क्योंकि भोजन के लिए जो राशि विद्यार्थियों से ली जाती है वह पूरे महीने के लिए निर्धारित रहती है। ऐसे में विद्यार्थी को त्योहार हो या बीमार उसे पूरे महीने की राशि ही देना होती है। विद्यार्थी जरूर इस व्यवस्था से अपने को ठगा-सा महसूस करते हैं। जो विद्यार्थी अपने घर जा रहे हैं उन्हें परिवार से मिलने की खुशी तो है, वहीं दोस्तों के साथ दशहरा मनाने के लिए भी कुछ एक छात्र यहीं रहेंगे। हालांकि इनकी संख्या 10 से 15 फीसदी ही बताई जा रही है। इधर बाहर से यहां आकर काम करने वाले सैकड़ों श्रमिक भी कुलदेवी के पूजा के लिए अपने घरों को रवाना होने लगे हैं। शहर में उत्तरप्रदेश, भिंड-मुरैना, ग्वालियर सहित आसपास के प्रदेश के कई लोग पानी-पताशे सहित अन्य प्रकार के व्यवसाय करने आते हैं लेकिन नवरात्रि पर्व पर देवी पूजन के लिए अपने घरों के लिए रवाना हो रहे हैं। अब यह लोग दशहरे बाद ही लौटेंगे और इसके बाद फिर दीपावली पर अपने घरों को जाएंगे। अभी सराय पर भी बाहरी मजदूरों की संख्या कम नजर आ रही है।
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