भोपाल। राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्तमान और भावी पीढ़ी के भविष्य को उज्जवल और सुरक्षित बनाने के लिए लकीर से हट कर शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रयास है। उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्र का आधार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा होती है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का आधार शिक्षक होते है। शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए विद्या केन्द्रों को इन्फार्ममेशन सेटर से ट्रांसफार्ममेशन सेंटर बनना होगा। शिक्षकों को ट्रांसफार्मर बनना होगा।
वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की मनोभूमिका विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहीं थी। पटेल ने कहा कि व्यक्तिव निर्माण की नींव प्राथमिक शिक्षा होती है। महाकाव्य महाभारत के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि गर्भावस्था में भी बच्चा सीखता है। इस आधार पर विदेशों में कार्य हो रहा है। हमारा देश इसे भूल रहा है। जरुरी है कि भावी और गर्भवती माताओं के सशक्तीकरण पर बल दिया जाये। उन्होंने कहा कि प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में क्या सोचे पर फोकस है। नई नीति में कैसे सोचा जाये पर बल दिया गया है। उन्होंने बाल कथा के मध्यम से बताया कि दादा के द्वारा लाए गए अनार का दादी ने जूस निकाल कर मुझे पिलाया है। मेरी शक्ति का आधार है। इस सामान्य सी कथा पर कौन फल लाया किस ने जूस निकाला जैसे प्रश्न प्रचलित शिक्षा प्रणाली में सम्मलित किये जाते है। जबकि इसी कथा से शिक्षक बच्चों में पारवारिक मूल्यों, प्रेमस्नेह, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य का संदेश दे सकते हैं। कथा के माध्यम से दादा-दादी ने बचपन में मेरा ध्यान रखा है। वह सम्मानीय है। स्वास्थ्य के लिए फल जरुरी है। फल के लिए पेड़ और पेड़ के लिए पर्यावरण की महत्ता समझायी जा सकती है। बच्चों के द्वारा खेले जाने वाले खिलौने भी उनकी अभिरुचि बनाते है। उन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
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