भोपाल। प्रदेश सरकार का फोकस अब शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र का बिगड़ा हुआ ढर्रा सुधारने पर है। कोरोना काल में दोनों ही क्षेत्र में व्यापक बदलाव की जरूरत महसूस हुई है। ऐसे में अब सरकार ने दोनों ही क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता में शामिल कर दिया है। अब कुछ सालों के भीतर बिजली, सिंचाई और खेती की तरह मप्र शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी रिकॉर्ड बनाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप निर्माण के लिए आयोजित किए जा रहे वेबिनार के तीसरे दिन स्वास्थ्य और शिक्षा पर बोलते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान-कौशल और संस्कार को प्राप्त करने के सोच से तैयार की गई है। मध्यप्रदेश इसका आदर्श तरीके से क्रियान्वयन करेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आयुष्मान भारत योजना ने नया सहारा दिया है। यह योजना मार्गदर्शक सिद्ध हो रही है। मध्यप्रदेश में दूरस्थ ग्रामीण अंचलों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने का कार्य किया जाएगा। तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में 600 करोड़ की लागत से सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क के विकास की योजना है। इसके क्रियान्वयन की गति बढ़ायी जाएगी। अगले तीन साल के भीतर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोडमैप बनाकर काम किया जाएगा।
किताबी ज्ञान के साथ कौशल भी सिखाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि किताबी ज्ञान के साथ विद्यार्थियों को कौशल भी मिले यह लक्ष्य है। शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने पर ध्यान देंगे। शिक्षा सर्व सुलभ हो, हर बच्चा स्कूल जाए लेकिन बच्चों पर बस्ते का बोझ न हो, उनका बोझ घटे, यह लक्ष्य है। नये स्कूल खोलने फैशन बढ़ गया है, नगण्य विद्यार्थी संख्या के बावजूद विद्यालय प्रारंभ करना उचित नहीं। मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों को कौशल ज्ञान भी दिया जाएगा।
नैतिक शिक्षा पर भी हम पर्याप्त ध्यान देंगे। पूर्व में नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जाता रहा है। इसे पुन: महत्व दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय तक जाने के लिए सड़क हों, परिवहन साधन भी हों, पर्याप्त स्टाफ हो और लेबोरेटरी भी हों, इस पर ध्यान देंगे। व्यवसायिक शिक्षा के अंर्तगत कक्षा छठवीं से बच्चों के हाथ में कौशल मिले, यह प्रयास होंगे।
फैशन के लिए मास्टर डिग्री न लें
यदि किसी विषय में विशेषज्ञता अर्जित करना तब ही पीजी कक्षा में प्रवेश लें विद्यार्थी। सिर्फ फैशन के लिए मास्टर डिग्री ज्वाइन न करें। आज प्रत्येक स्थान पर कॉलेज के लिए मांग आती है। लेकिन पाठ्यक्रम की उपयोगिता सिद्ध हो, विद्यार्थी इसे ध्यान में रखें। शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। तकनीकी ज्ञान हासिल करने वाले बच्चे शत-प्रतिशत प्लेसमेंट का लाभ लें। सभी कार्यों के लिए प्राय: लोग नहीं मिलते दूसरी तरफ बेरोजगारी की बात सुनते हैं। हमें इस गैप को पाटना है ।
चिकित्सकों की कमी दूर करने पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी व्यवस्थाएं बनायी हैं। शासकीय अस्पताल चिकित्सक विहीन न हों, इसके प्रयास किए गए। चिकित्सकों की कमी को दूर करने का कार्य हुआ है। प्रदेश के शासकीय अस्पताल विशेष रुप से जिला अस्पताल पूर्ण सक्षम हों। रोगी को रेफर करने की जरूरत न हो। प्रदेश में 13 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल की गई। नये प्रारंभ मेडिकल कॉलेजों से जनता को सुविधा प्राप्त हुई है। डॉक्टर्स के साथ पैरामेडिकल स्टाफ की कमी दूर हो। यह भी पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। जांच की व्यवस्था साथ ही उपकरण को ऑपरेट करने के लिए ऑपरेटर भी हो, तभी स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का लक्ष्य पूरा होगा। एलोपैथी के साथ योग, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और अन्य पद्धतियों का प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है।
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