भोपाल। मप्र के लगभग तीन हजार करोड़ के ई-टेडरिंग घोटाले की आंच प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी के घर तक पहुंच गई है। प्रवर्तन निर्देशालय (ईडी) की टीम ने बुधवार को गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित निवास पर दस्तावेजों की छानबीन की। रेड्डी के अलावा उन कंपनियों के यहां भी छापे की सूचना है जिन्हें टेंडर में टेम्परिंग कर ठेके दिए गए। चर्चा है कि इस बड़े घोटाले को लेकर मप्र के कुछ मौजूदा आईएएस अधिकारी भी केन्द्रीय जांच एजेंसी के निशाने पर हैं।
बुधवार को ईडी की टीम ने हैदराबाद, बैंगलोर और भोपाल में एक साथ लगभग 18 स्थानों पर छापे मारे। टाईम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार हैदराबाद में बंजारा हिल्स स्थित गोपाल रेड्डी के निवास पर ईडी ने तलाशी ली है। इसके अलावा ईडी की टीम ने जुबली हिल्स में जीवीपीआर इंजीनियर्स के प्रोमोटर गैंडलुरू वीरा शेखर रेड्डी के कार्यालयों की भी तलाशी ली गई है। यह भी खबर है कि हैदराबाद में ही मैक्स मेंटेना माइक्रो जेवी के प्रोमोटर्स के यहां भी तलाशी ली गई है। भोपाल में भी कुछ स्थानों पर इस तरह के छापे की सूचना है। मप्र के इतिहास में पहली बार मुख्य सचिव स्तर के रिटायर अधिकारी के घर ईडी ने छापे की कार्रवाई की है।
क्या है मामला
मप्र का ई-टेडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था जब जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच मप्र के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि जीवीपीआर इंजीनियरों और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1769 करोड़ का बदलाव कर दिया था। ई-टेडरिंग को लेकर ईओडब्ल्यू ने कई कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हुई है।
यह भी निशाने पर
मप्र के कुछ अन्य आईएएस भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। भोपाल का एक ठेकेदार हैदराबाद की कंपनियों के लिए लाईजिंग का काम करता है। इस ठेकेदार का नाम कमलनाथ के करीबियों पर पड़े आयकर छापे के दौरान सामने आया। आयकर छापे में मिले दस्तावेजों के अनुसार इस ठेकेदार ने लगभग 9 करोड़ 48 लाख कमलनाथ के करीबियों को कथित रिश्वत का भुगतान किया था। इसी ठेकेदार ने अपनी एक फर्म से 99 लाख 50 हजार रुपए की राशि मप्र के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खाते में ट्रांसफर की है। अब यह अधिकारी और ठेकेदार भी जांच एजेंसी के निशाने पर हैं।
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