नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बुधवार को कहा कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग जांच (Money laundering investigation)के तहत आरजेडी विधायक किरण देवी(RJD MLA Kiran Devi), उनके पति और पूर्व विधायक अरुण यादव और कुछ संबंधित संस्थाओं की 21 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है. बिहार के भोजपुर जिले के अगियांव गांव में स्थित 46 अचल संपत्तियां और पटना के “पॉश” इलाकों में स्थित कुछ अन्य संपत्तियां और 2 करोड़ रुपये की बैंक जमा राशि को PMLA के तहत अनंतिम आदेश जारी होने के बाद जब्त किया गया है।
एजेंसी ने कहा कि जब्त की गई कुल 21.38 करोड़ रुपये की संपत्ति अरुण यादव, किरण यादव, अरुण यादव के बेटों राजेश कुमार और दीपू सिंह और उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी किरण दुर्गा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की है।
किरण देवी लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मौजूदा विधायक हैं, जो भोजपुर में संदेश निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. अरुण यादव ने 2015 से 2020 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया।
अरुण यादव ने ‘आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होकर आय अर्जित की: ED
एजेंसी ने एक बयान में आरोप लगाया कि अरुण यादव ने ‘आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होकर और अपने पद का दुरुपयोग करके अपराध से बड़ी आय अर्जित की और नकदी के माध्यम से संपत्ति अर्जित करने, आलीशान आवास बनाने और अपनी वैध आय की आड़ में इसे अपने बैंक खातों में जमा करने में अपराध के पैसे को छुपाय।
बयान में कहा गया कि ‘उन्होंने (यादव परिवार) बैंकिंग सिस्टम और किरण दुर्गा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का दुरुपयोग करके अपराध की आय को परत-दर-परत और सफेद करने तथा उसे बेदाग दिखाने के लिए किया।
अरुण यादव और परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
अरुण यादव और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बिहार पुलिस द्वारा पूर्व विधायक के खिलाफ ‘जघन्य अपराधों, अवैध रेत खनन और रेत की बिक्री’ में कथित संलिप्तता के आरोप में दर्ज चार एफआईआर से उपजा है. ईडी के अनुसार, अरुण यादव ने 2014-15 और 2022-23 के बीच और उनके परिवार के सदस्यों ने नकद पैसे का उपयोग करके कृषि भूमि के 40 पार्सल (3.04 करोड़ रुपये मूल्य) हासिल किए।
इसमें दावा किया गया है कि उन्होंने दानापुर में चार फ्लैट (2.56 करोड़ रुपये मूल्य के) और पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी में एक व्यावसायिक भूमि (3.44 करोड़ रुपये मूल्य की) भी खरीदी और इन्हें खरीदने के लिए ‘पर्याप्त नकदी’ का उपयोग किया गया।
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