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    करोड़ों के कैश जब्ती मामले में ED ने झारखंड के मंत्री को किया तलब, 14 मई को दर्ज होंगे बयान

  • May 12, 2024

    नई दिल्ली। 36 करोड़ रुपये की नकदी बरामदगी का मामला (cash recovery case) इन दिनों चर्चाओं में है। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री (Rural Development Minister) और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम को तलब किया है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 मई को उनसे पूछताछ की जाएगी। उन्हें रांची में ईडी के जोनल कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है। सूत्रों की मानें तो आलम को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है।

    ईडी ने पिछले सोमवार को मंत्री के सचिव संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर आलम, बिल्डर मुन्ना सिंह और उनके करीबियों समेत नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी। कार्रवाई राज्य ग्रामीण विकास विभाग में कथित अनियमितताओं के मामले में की गई थी। छापेमारी के तहत रांची के एक 2 बेडरूम फ्लैट में छापा मारा गया। यह फ्लैट कथित तौर पर संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम का है। इस फ्लैट से ईडी ने 32 करोड़ रुपये बरामद किए।


    वहीं अन्य ठिकानों पर छापेमारी से तीन करोड़ रुपये नकद बरामद किए। इस तरह अब तक कुल 35 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हो चुकी है। वहीं झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने अपनी ओर से कोई भी गलत काम से इनकार किया है। छापेमारी में बड़ी संख्या में नकदी बरामद हुई, जिसकी गिनती के लिए नोट गिनने वाली पांच मशीने और बैंक के कर्मचारियों को लगाया गया। ईडी ने छापेमारी में जमीन जायदाद के दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

    ईडी ने सचिव और नौकर को गिरफ्तार करके मंगलवार को अदालत में पेश किया। अदालत में ईडी ने बताया था कि झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के सचिव ने कुछ प्रभावशाली लोगों की ओर से टेंडरों पर कमीशन इक्ट्ठा किया था। उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ऊपर से नीचे तक अवैध नकद भुगतान सांठगांठ में कथित रूप में शामिल थे। ईडी ने आगे बताया कि निविदाओं और इंजीनियरों से कमीशन की वसूली के बाद कमीशन का कुछ प्रतिशत सरकार के उच्च अधिकारियों को वितरित किया जाता था।

    मामले में कई वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं। इसकी जांच की जा रही है। ईडी ने कहा कि भुगतान आमतौर पर नकदी में प्राप्त किया जाता था, जिसे बाद में सफेद कर दिया जाता था। इस पूरे गुनाह का खुलासा होना महत्वपूर्ण है। ईडी ने दावा किया कि लाल और आलम ने अवैध धन को विभिन्न स्थानों पर छिपाया था। आलम के नाम पर पंजीकृत दो वाहन भी परिसर में पाए गए, जहां छापामारी की गई थी। ईडी ने तमाम दलील देते हुए दोनों आरोपियों की हिरासत मांगी, जिसे न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने स्वीकार की और दोनों छह दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया।

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