
भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate -ED) ने एक दिन पहले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कुछ शराब ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी (Raid on Liquor contractors’ hideouts) की थी, इस दौरान उसने वहां से साढ़े सात करोड़ रुपए नकद जब्त किए हैं। इस बारे में मंगलवार को एजेंसी की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि उसने ये छापेमारी साल 2015-16 से 2017-18 के बीच शराब व्यापार में कथित तौर पर हुई 50 करोड़ रुपए की अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) के मामले में की थी। ईडी अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के प्रावधानों के तहत दर्ज FIR के बाद एजेंसी ने सोमवार को भोपाल, इंदौर और मंदसौर में विभिन्न शराब ठेकेदारों के 13 परिसरों पर कार्रवाई की थी, इसी दौरान 7.44 करोड़ रुपए की नगदी बरामद हुई।
ईडी ने बताया कि तलाशी के दौरान उसने कैश के अलावा 71 लाख रुपए के बैंक जमा और कुछ बैंक लॉकर भी जब्त किए हैं। इसके साथ ही कार्रवाई के दौरान एजेंसी ने अपराधों से जुड़े कुछ दस्तावेज और अचल संपत्तियों से संबंधित पेपर्स भी जब्त किए गए हैं।
जांच एजेंसी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला इंदौर पुलिस (रावजी पुलिस स्टेशन) द्वारा शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज की गई FIR से निकला है। जिसमें बताया गया है कि आरोपी ठेकेदारों पर ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेरफेर करके सरकारी राजस्व को 49 करोड़ 42 लाख 45 हजार 615 रुपए (49.42 करोड़ रुपए) का नुकसान पहुंचाने और 2015-16 से 2017-18 की अवधि के दौरान शराब ठेकों के अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप है।
अपराध का तरीका बताते हुए ईडी ने कहा कि किसी फिल्मी कहानी की तर्ज पर आरोपी शराब ठेकेदार छोटी रकम के चालान बनवाते थे और उन्हें बैंक में जमा करते थे। हालांकि चालान के निर्धारित प्रारूप में ‘अंकों में रुपए’ और ‘शब्दों में रुपए’ लिखने के स्थान पर वे सिर्फ अंकों में रुपए ही लिखते थे और शब्दों में रुपए वाली जगह को खाली छोड़ देते थे।
इसके बाद रुपए जमा करने वाला बदले में मिले चालान में अंकों में लिखी गई राशि को हजार से लाखों में बदल देता था और खाली छोड़ी गई जगह पर शब्दों में नई बढ़ी हुई रकम लिख देता था। इसके बाद ऐसी बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा करा दी जाती थी।
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