नई दिल्ली (New Delhi) । कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) से जुड़े कथित जमीन धोखाधड़ी केस (Land Fraud Case) में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने रियल स्टेट ग्रुप M3M की 300 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की जमीन को कुर्क कर लिया है, इस बात की जानकारी एजेंसी ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए दी। जमीन को अटैच करने के लिए ईडी ने PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत एक अंतरिम आदेश जारी किया।
88.29 एकड़ की यह जमीन गुरुग्राम जिले की हरसरू तहसील के बशारिया गांव में स्थित है, जो कि दिल्ली की सीमा से सटा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा कि जमीन की कीमत करीब 300.11 करोड़ रुपए है।
इस कार्रवाई के बाद रियल एस्टेट समूह के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वे ‘भूमि संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त करने की ईडी द्वारा की गई अत्यधिक अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक कार्रवाई से बहुत निराश हैं…, जो किसी भी तरह से किसी भी अपराध से जुड़ी हुई नहीं है और किसी भी परिस्थिति में PMLA के तहत अपराध की आय के दायरे में नहीं रखी जा सकती है।’
मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो की FIR से उपजा है, जो हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता हुड्डा, नगर एवं ग्राम नियोजन निदेशालय (DTCP) के पूर्व निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता, रियल्टी समूह आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (RSIPL) और 14 अन्य कॉलोनाइजर कंपनियों के खिलाफ दर्ज की गई थी।
ईडी का कहना है कि आरोपियों ने आम लोगों के अलावा जमीन मालिक, हरियाणा राज्य और तत्कालीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) को धोखा दिया है। अब HUDA का नाम बदलकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण कर दिया गया है।
ईडी ने कहा कि आरोपियों ने संबंधित भूस्वामियों की जमीन अधिग्रहण करने के लिए पहले भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत तथा उसके बाद धारा 6 के तहत अधिसूचना जारी करवाकर उन्हें धोखा दिया। एजेंसी ने कहा कि इससे उन्हें अपनी जमीन को मौजूदा कीमत से कम कीमत पर कॉलोनाइजर कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने धोखाधड़ी और बेईमानी से अधिसूचित भूमि पर आशय पत्र (LOI) या लाइसेंस प्राप्त किए, जिससे जमीन मालिकों और हरियाणा राज्य को नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने खुद गलत लाभ उठाया।
ईडी ने कहा कि M3M समूह के प्रमोटर बसंत बंसल और रूप बंसल के लाभकारी स्वामित्व वाली कंपनी RSIPL ने FIR में उल्लेखित लोगों के साथ सांठगांठ की और कानूनी आधार के बिना उनके मामले को अत्यधिक कठिनाई के रूप में वर्गीकृत करके वाणिज्यिक कॉलोनी स्थापित करने के लिए 10.35 एकड़ भूमि के लिए अवैध रूप से अनुमोदित लाइसेंस प्राप्त किए। हालांकि कमर्शियल कॉलोनी स्थापित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के बाद भी RSIPL के प्रमोटरों ने कमर्शियल कॉलोनी विकसित नहीं की, जो लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक पूर्व शर्त थी।
उधर M3M समूह ने कहा कि ‘यह जानकर चिन्ता हो रही है कि जिस भूमि पर आवासीय/वाणिज्यिक परियोजना स्थापित की जानी है, उसमें कम्पनी द्वारा किए गए भारी निवेश को नजरअंदाज कर दिया गया है।’
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘इस परियोजना की क्षमता को भी नजरअंदाज किया गया, जो हजारों परिवारों के लिए रोजगार पैदा करेगी। इसलिए, संपत्ति को जब्त करने में ईडी की कार्रवाई न तो कानूनन उचित है और न ही समानता और न्याय के नजरिए से उचित है। हम पर जो आरोप हैं वो स्पष्ट रूप से गलत तरीके से लगाए गए हैं और जो लेनदेन हुए हैं, उनकी गलत व्याख्या की गई है और उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।’
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