नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ईडी (ED) को गिरफ्तारी करने का अधिकार है (Has the Right to Arrest), वजह बताने की (To Explain the Reason) भी जरूरत नहीं है (Does Not even Need) । कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट (PMLA ACT) और ईडी के अधिकारों के खिलाफ (Against the Rights of ED) दायर याचिका को खारिज कर दिया (Dismissed the Petition Filed) । बता दें कि सर्वोच्च अदालत में दायर एक याचिका में पीएमएलए एक्ट के कई प्रावधानों को कानून के खिलाफ बताया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया है।
अदालत ने ईडी की गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा कि ईडी को समन भेजने और गिरफ्तारी का अधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। अपने इस फैसले में शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के सभी अधिकारों को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19 के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। ये प्रावधान ईडी की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्तियों से संबंधित हैं। याचिकाओं में कहा गया कि जांच एजेंसी को जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। बता दें कि इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा था।
बता दें कि ईडी द्वारा सम्मन दिए जाने और बिना कारण बताए गिरफ्तारी के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगाई है। कोर्ट ने ईडी को गिरफ्तारी, सर्च और संपत्ति जब्त करने के अधिकार को सही माना है। इसके अलावा कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट में बेल की शर्तों को भी वैध ठहराया है। इसके तहत आरोपी को इसीआईआर की कॉपी देना ज़रूरी नहीं है। याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताई गई खामियों को दूर करने के लिए संसद वर्तमान स्वरूप में धारा 45 में संशोधन करने के लिए सक्षम है।
याचिका को लेकर सरकार की तरफ से कहा गया कि लोगों ने ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए इस तरह की याचिका दायर की है। इस कानून की मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहूल चौकसी जैसे लोगों से अबतक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूल किये गए हैं।
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