नई दिल्ली । ईडी (ED) ने एनसीपी के पूर्व कोषाध्यक्ष से जुड़ी (Belonging to Former NCP Treasurer) 315.6 करोड़ रुपये की (Worth Rs. 315.6 Crore) 70 अचल संपत्तियां (70 Immovable Properties) कुर्क की (Attached) । एनसीपी के पूर्व कोषाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सदस्य ईश्वरलाल शंकरलाल जैन और उनके बेटे मनीष ईश्वरलाल जैन लालवानी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने रविवार को कहा कि उसने राजमल लखीचंद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड, आर एल गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड और मनराज ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड की 315.6 करोड़ रुपये की 70 अचल संपत्तियां कुर्क की हैं।
वित्तीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि शनिवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत राजमल लखीचंद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड, आर एल गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड और मनराज ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के बैंक धोखाधड़ी मामले में ईडी ने महाराष्ट्र के जलगांव, मुंबई, ठाणे और सिल्लोड और गुजरात के कच्छ सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित 70 अचल संपत्तियों और पवन चक्कियों, चांदी और हीरे के आभूषण या बुलियन और भारतीय मुद्रा जैसी चल संपत्तियों को जब्त कर लिया है। सभी संपत्तियों का मूल्य 315.60 करोड़ रुपये है। ईडी ने कहा कि कुर्क की गई चल और अचल संपत्तियों में प्रमोटर ईश्वरलाल शंकरलाल जैन लालवानी, मनीष ईश्वरलाल जैन लालवानी और अन्य द्वारा अर्जित बेनामी संपत्तियां शामिल हैं।
ईडी का मामला आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआई द्वारा दर्ज की गई तीन एफआईआर पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनियां और उनके निदेशक या प्रमोटर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कदाचार के अपराधों में शामिल थे, जिससे राजमल लखीचंद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड, आरएल गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक को 352.49 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। मनराज ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड, और उनके प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों ईश्वरलाल शंकरलाल जैन लालवानी, मनीष ईश्वरलाल जैन लालवानी, पूसादेवी ईश्वरलाल जैन लालवानी और नीतिका मनीष जैन लालवानी को आरोपी के रूप में नामित किया गया था। सीबीआई में दर्ज शिकायत के मुताबिक, राजमल लखीचंद ज्वैलर्स ने बैंक को 206.73 करोड़ रुपये, आरएल गोल्ड ने 69.19 करोड़ रुपये और मनराज ज्वैलर्स ने 76.57 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
आरोपी प्रमोटरों ने कथित तौर पर उन संपत्तियों को बेच दिया जो उनके द्वारा उधार लिए गए ऋण के लिए बैंक के पास गिरवी रखी गई थीं। आरोपियों ने बैंक की क्रेडिट सुविधाओं का दुरुपयोग किया था और फिर पैसे का इस्तेमाल पैसे उधार लेते समय उनके द्वारा बताए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया था। इसके चलते आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया। ईडी ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि प्रमोटरों ने ऐसे ऋण लेने के लिए फर्जी वित्तीय विवरण जमा किए थे।
ईडी ने कहा, प्रमोटर कंपनियों के लेखा परीक्षकों की मिलीभगत से, रियल एस्टेट संपत्तियों में निवेश के लिए ऋण की आय को निकालने के लिए आरोपी कंपनियों के खातों की किताबों में फर्जी बिक्री खरीद लेनदेन की बुकिंग और फर्जी बिक्री खरीद लेनदेन की बुकिंग करने के लिए लेनदेन की राउंड ट्रिपिंग में भी लगे हुए थे। इससे पहले, ईडी ने जलगांव, नासिक और ठाणे (महाराष्ट्र) में राजमल लखीचंद समूह के 13 आधिकारिक और आवासीय परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया था और विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेजों के साथ सोने, चांदी और हीरे के आभूषण या बुलियन और नकदी में भारतीय मुद्रा जब्त की थी।
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