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    आत्मनिर्भर मप्र के लिए गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना होगा

  • August 21, 2020

    • 24 अगस्त को मंत्री-समूह की वीसी में फाइनल रोडमैप की होगी प्रस्तुति

    भोपाल। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिये गाँवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना होगा। गाँवों के परम्परागत व्यवसायों एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। कोरोना महामारी संकट में जब लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधे बंद हो गये तब कृषि एवं गाँव की अर्थव्यवस्था ने ही देश को सहारा दिया। इस दौरान गाँवों से ही अनाज, सब्जियाँ व दूध की आपूर्ति जारी रही। अब हमें गाँवों की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के बारे में सोचना होगा। गुरूवार को मंत्रालय में अर्थव्यवस्था एवं रोजगार विषय पर गठित मंत्री समूह की वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव दिये।
    वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंत्री-समूह की अध्यक्षता वाणिज्यिक कर, वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री जगदीश देवड़ा ने की। वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंत्री कमल पटेल, ओमप्रकाश सकलेचा, मीना सिंह, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, गिर्राज दंडोतिया, भारत सिंह कुशवाह ने अपने-अपने सुझाव दिये।
    वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिये आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान की शुरूआत की है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास हो और वह आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़े। उन्होंने कहा कि गाँवों में कैसे रोजगार उपलब्ध कराये जायें इस संबंध में भी सभी अपने सुझाव दें ताकि इन सुझावों को रोडमैप में शामिल किया जा सके।
    किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने सुझाव दिया कि गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये खेती-किसानी व गाँव से जुड़े परम्परागत उद्योग-धंधों को मजबूत किया जाए। किसानों को उनके उत्पादन का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिये उत्पादन, भंडारण एवं मार्केटिंग की चेन बनाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था बने कि किसानों की उपज का विक्रय समर्थन मूल्य से कम कीमत पर न हो। गाँवों में मकान व अन्य सम्पत्ति पर लोन दिये जाने की व्यवस्था हो। जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिये जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की व्यवस्था होना चाहिए। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि फल एवं सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये मानकीकरण की व्यवस्था हो। पॉली हाउस/ग्रीन हाउस के साथ किसानों को टेक्निकल सपोर्ट की व्यवस्था हो, मृदा परीक्षण में सूक्ष्म तत्वों के परीक्षण को भी शामिल किया जाये तथा हरे चारे की खेती के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जाये। दूध की सही कीमत दिलाने के लिये मिल्क प्रोसेसिंग के माध्यम से चीज़, पनीर, चॉकलेट जैसे उत्पादों को बढ़ावा देने जैसे सुझाव दिये। उन्होंने कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंडी, स्टैण्डर्ड प्रोडक्ट तथा वेयर हाउसिंग/कोल्ड स्टोरेज का सुझाव दिया।
    खनिज साधन, श्रम मंत्री बृजेन्द्र सिंह ने फल एवं सब्जियों की खेती के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया। उन्होंने महिला स्व-सहायता समूहों की तर्ज पर पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के स्व-सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोडऩे का सुझाव दिया। उन्होंने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को पॉली हाउस/ग्रीन हाउस जैसी आधुनिक पद्धति का उपयोग करते हुए खेती के माध्यम से रोजगार से जोडऩे का भी सुझाव दिया। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार), नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह ने कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिये गोदाम व कोल्ड स्टोरेज की स्थापना का सुझाव दिया। उन्होंने जैविक खेती को भी प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया।
    किसान कल्याण तथा कृषि विकास राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया ने चंबल के बीहडों का समतलीकरण कर खेती के उपयोग में लाने, फलदार एवं औषधीय खेती को बढ़ावा देने, छ:लेन चंबल एक्सप्रेस-वे पर प्रस्तावित औद्योगिक पार्क में फूड प्रोसेसिंग पार्क की स्थापना का सुझाव दिया। उन्होंने चंबल क्षेत्र में पुराने परम्परागत व्यवसायों व कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि चंबल क्षेत्र में सरसों, बाजरा, आलू आदि का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है किन्तु किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिलता।
    वीडियो कॉन्फ्रेंस के प्रारंभ में नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा ने ‘अर्थव्यवस्था एवं रोजगार’ विषय पर प्राप्त सुझावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभी तक ‘अर्थव्यवस्था एवं रोजगार’ विषय पर कुल 204 सुझाव प्राप्त हो चुके हैं। ये सुझाव कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, जैविक खेती, कृषि निर्यात संभावित कमोडिटी, खाद्य प्रसंस्करण, बड़े उद्योग, मेन्यूफेक्चरिंग, एमएसएमई कुटीर उद्योग, कौशल विकास, उद्योग एवं रोजगार, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, खनिज, व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्राप्त सुझाव भी रोडमैप में शामिल किये जायेंगे तथा 24 अगस्त को प्रस्तावित मंत्री समूह की वीडियो कॉन्फ्रेंस में फाईनल रोडमैप की प्रस्तुति होगी।

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