नई दिल्ली। वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने उद्योग जगत से निवेश का आह्वान करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद संरचनात्मक रूप से मजबूत है। सरकार इसमें सुधारों को लेकर पूरी प्रतिबद्ध है। ठाकुर ने ये बात वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही।
ठाकुर ने सीआईआई सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कंपनी कर घटाने समेत पिछले 6 साल में कई सारे सुधार किए हैं। वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि घरेलू कंपनियों के निवेश से विदेशी कंपनियों में भी भारत में पैसा लगाने को लेकर भरोसा जगेगा।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि पिछले साल कंपनी कर की दरों को 30 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी किया गया, जो ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि ये अब भारतीय उद्योग और कंपनियों पर है कि वे दुनिया को दिखाने के साथ आगे बढ़कर निवेश करें। उन्होंनें कहा कि मुझे लगता है कि पहला निवेश भारतीय उद्योग जगत की ओर से शुरू होना चाहिए। इससे विदेशी कंपनियों में भारत में निवेश को लेकर भरोसा बढ़ेगा।
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले हम सभी को संबोधित किया और देश में निवेश का न्यौता दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने का है, उसे नियंत्रण से बाहर लाकर ऐसी व्यवस्था बनाना है, जहां चीजें खुली हों और स्वत: आगे बढ़े। ठाकुर ने कहा कि कई नई परियोजनाओं, पुरानी परियोजनाओं और उभरते क्षेत्रों में व्यापक संभावनाएं तथा अवसर है। उन्होंने कहा कि हम आथिक वृद्धि के पटरी पर आने को लेकर पूरी तरह आशावान हैं, इसकीक वजह हमारा भारत के उद्योग जगत के ऊपर भरोसा है।
ठाकुर ने कहा कि रक्षा उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा को उदार बनाकर 74 फीसदी किया गया है, जबकि निजी कंपनियों को कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों में 1,400 लोगों ने कोयले के वाणिज्यिक खनन में रूचि दिखायी है। इससे कोयला के आयात में 60 फीसदी कमी लाने में मदद मिलेगी। वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि हमारा सुधार एकीकृत, परस्पर जुड़ा और लक्षित है ताकि उद्योग जगत और भारतीय अर्थव्यवस्था भविष्य के लिये तैयार हों।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ साल से निजी निवेश न के बराबर है। इसका कारण उद्योग जगत का पूंजी निर्माण से बचना है। हालांकि, सरकार ने हाल ही में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कंपनी कानून की 58 धाराओं को अपराध की श्रेणी से हटाया गया है, जबकि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कार्रवाई की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया गया है। इसके आलावा ऋण शोधन कार्रवाई को भी एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसकी चर्चा भी वित्त राज्यमंत्री ने अपने संबोधन में किया। (एजेन्सी, हि.स.)
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