भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में पूरी ताकत से जुटा है। कोविड-19 के पांव फैलाने के समय प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने के बाद न सिर्फ वायरस के नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए बल्कि तीन माह में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के निर्माण की ठोस पहल भी की। संकट के दौर में समाधान खोजने की इन कोशिशों में सफलता भी मिली है। रोजगार संभावनाओं को बढ़ाने का कार्य भी आसान हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना की परिस्थितियां सामान्य नहीं थी। मध्यप्रदेश में पूर्व सरकार की इस खतरनाक वायरस से निपटने की कोई तैयारी ही नहीं थी। एक बैठक तक नहीं बुलाई गई थी। हमने राज्य की जनता को संकट के हालातों से बाहर निकाला। मैंने मुख्यमंत्री का पदभार संभालने पर शपथ लेते ही सीधे मंत्रालय जाकर पहली बैठक कोरोना की स्थिति जानने के संबंध में ली। राज्य में जाँच के लिए एक लैब ही थी, जिसकी संख्या बढ़ाते हुए 75 तक की गई। एक सप्ताह में आवश्यक बेड, ऑक्सीजन, दवाओं का इंतजाम किया गया। स्टाफ का प्रबंधन भी किया गया। राज्य में पीपीई किट बनने लगी। स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने युद्ध स्तर पर मास्क निर्माण कर राज्य की जनता को इस वायरस से बचाने में अहम योगदान दिया। अब जब कोरोना की वैक्सीन के आने का समय हो रहा है, मध्यप्रदेश में इसके लिए आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं।
संवाद के जरिए निपटेंगी किसानों की मांग
चौहान ने किसानों के संदर्भ में कहा कि नए किसान कानून किसानों के हित में होंगे। किसान को मण्डी के अलावा फसल बेचने का अन्य विकल्प देना उसके हित में ही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था बरकरार रहेगी। कृषि उत्पादन क्रय करने के लिए नई वैकल्पिक पद्धति के अंतर्गत यदि व्यापारी और किसान परस्पर सहमत हैं तो किसी को क्या आपत्ति होनी चाहिए। लोकतंत्र में संवाद बहुत आवश्यक है। किसी जिद् से कोई समाधान नहीं निकलता। मप्र के किसान तो नए कानूनों के पक्ष में ही हैं। वैसे भी कई वर्ष से मॉडल एक्ट की चर्चा चल रही थी।
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