नई दिल्ली (New Delhi)। टमाटर (Tomatoes) और प्याज (Onions) की अगुवाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी (Rise in Food items prices) से खुदरा महंगाई (retail inflation) जुलाई, 2023 में मासिक आधार पर 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी (1.90 percent increase) के साथ 6.7 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकती है। एसबीआई (SBI) ने ईकोरैप रिपोर्ट (ecowrap report) में यह अनुमान जताया है। जून में खुदरा महंगाई दर 4.8 फीसदी रही थी। सरकार 14 अगस्त, 2023 को जुलाई के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई के आंकड़े जारी कर सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee of RBI) के फैसले से पहले अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे में दावा किया गया है कि खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा तेजी से जुलाई में खुदरा महंगाई एक बार फिर आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक दायरे से बाहर निकल सकती है।
बार्कले के अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा, सब्जियों की कीमतें मई के मुकाबले जून में मामूली बढ़ी थीं। लेकिन, जुलाई में कीमतों में तेज वृद्धि दर्ज की गई। इससे खुदरा महंगाई जुलाई में बढ़कर 6.3 फीसदी पर पहुंच सकती है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजय कुमार ने कहा कि सब्जियों के अलावा दूध, अनाज और दालों में तेजी से खुदरा महंगाई जुलाई में बढ़कर 5.5 फीसदी रह सकती है।
236 फीसदी बढ़ गईं टमाटर की कीमत
डॉयचे बैंक इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण टमाटर और प्याज की कीमतों में तेजी है। चावल के दाम भी बढ़े हैं। आवश्यक 22 खाद्य वस्तुओं की दैनिक कीमतें 12.3 फीसदी बढ़ी हैं। जून में इसमें औसतन 2.4 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था। टमाटर के दाम जुलाई में 236.1 फीसदी बढ़े। जून में इसमें 38 फीसदी की वृद्धि हुई थी। प्याज की कीमत 4.2 फीसदी के मुकाबले 15.8 फीसदी बढ़ गई है। वहीं, आलू की कीमत 9.3 फीसदी बढ़ गई।
तीसरी बार अपरिवर्तित रह सकती है रेपो दर
आरबीआई लगातार तीसरी बार रेपो दर को यथावत रख सकता है। इससे पहले जून और अप्रैल, 2023 में केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था। एसबीआई ने कहा, महंगाई काफी हद तक मौसमी है, जो आगे कम हो सकती है। इसलिए, आरबीआई इस बार भी रेपो दर अपरिवर्तित रखेगा। वर्तमान 6.50% की रेपो दर लंबे समय तक बनी रहेगी। एसबीआई के मुताबिक, विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ महंगाई कई देशों के लिए चिंता का विषय है। लेकिन, भारत ने इसे नीचे लाने का बेहतर प्रबंधन किया है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे गुरुवार को आएंगे। केंद्रीय बैंक नकद आरक्षित अनुपात को 4.5 फीसदी से बढ़ा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि बैंकों को आरबीआई के पास ज्यादा पैसा रखना पड़ सकता है।
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