नई दिल्ली । डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) डिग्रीधारी फिजिशियन (Physician) हैं, लेकिन मरीजों को कम ही देखते हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) का पालन करने, मास्क लगाने और टीकाकरण की अपील कर रहे थे, तो उस वक्त अमेरिका का यह जाना-माना स्वास्थ्य और अर्थशास्त्र विशेषज्ञ अपने सहयोगियों के साथ तार्किक रूप से इन सब बातों का पुरजोर विरोध करने में लगा हुआ था। इन विचारों की वजह से उन्हें कई आलोचनाओं और प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा। नस्लीय टिप्पणियों का सामना करने के अलावा जान से मारने की धमकियां मिलीं सो अलग। ये विशेषज्ञ हैं कोलकाता में जन्मे भारतीय मूल के अमेरिकी फिजिशियन और अर्थशास्त्री डॉ. जयंत उर्फ जय भट्टाचार्य (Economist Dr. Jayant Bhattacharya)।
डॉ. भट्टाचार्य को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) का निदेशक मनोनीत किया है। डॉ. भट्टाचार्य की शख्सियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह स्वास्थ्य और मानव सेवा मंत्री रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के साथ अमेरिका की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालेंगे। डॉ. भट्टाचार्य भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं, जो इस पद के लिए चयनित हुए हैं। उन्हें ट्रंप और कैनेडी, दोनों का ही भरोसेमंद माना जाता है, क्योंकि कोरोनारोधी वैक्सीन की अनिवार्यता का ट्रंप और कैनेडी ने भी विरोध किया था। स्वास्थ्य नीतियां बनाने में माहिर डॉ. भट्टाचार्य आप्रवासियों और शरणार्थियों को ट्रंप की तरह ही अमेरिका के लिए मुसीबत बता चुके हैं।
शिक्षा और शुरुआत
डॉ. भट्टाचार्य का जन्म 1968 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। वह अपने माता-पिता को विभाजन की संतान मानते हैं। जय अपने बचपन में ही अमेरिका आ गए थे। हालांकि, उनका परिवार नियमित रूप से कोलकाता आता-जाता रहता था। अपने परिवार से सुनी कहानियों ने ही उन्हें भारत से जोड़े रखा। उन्होंने क्लेरमोंट हाईस्कूल, कैलिफोर्निया से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1990 में बीए और एमए की डिग्री, जबकि वर्ष 1997 में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) और वर्ष 2000 में अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने ये डिग्रियां स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से हासिल की हैं। वर्तमान में वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के साथ ही कई अहम जिम्मेदारियों को संभाल रहे हैं।
बच्चों से हारना है पसंद
डॉ. भट्टाचार्य ने कैथरीन सू से शादी की है। उनके दो बेटे मैथ्यू भट्टाचार्य और बेंजामिन भट्टाचार्य तथा एक बेटी जोडी भट्टाचार्य है। काम से फुर्सत मिलने पर परिवार के साथ समय बिताना उन्हें पसंद है। वह बच्चों के साथ गेम भी खेलते हैं, जब उनसे हारते हैं, तो उन्हें अच्छा लगता है। डॉ. जय को साइकलिंग भी पसंद है।
ओबामा और बाइडन के धुर विरोधी
डॉ. जय भट्टाचार्य, ट्रंप की तरह ही पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन की नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं। डॉ. जय ने 2021 में बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद कोरोना को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों का खुला विरोध किया और कोर्ट में यह कहते हुए मुकदमा दायर किया कि बाइडन प्रशासन ने गलत सूचनाएं जारी की हैं। वहीं, 2020 में कोरोना महामारी को लेकर जारी की गई सलाह ‘ग्रेट बैरिंगटन डेक्लरेशन’ के तीन लेखकों के अगुवा थे डॉ. जय भट्टाचार्य। उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए मास्क की अनिवार्यता को गलत बताया था।
चिकित्सा व अर्थशास्त्र के ज्ञाता
कई वैज्ञानिक समीक्षा और सलाहकार समितियों में काम कर चुके डॉ. भट्टाचार्य अब दुनिया की प्रमुख चिकित्सा शोध एजेंसी यानी एनआईएच निदेशक के रूप में 48 अरब डॉलर के बजट के साथ अलग-अलग 27 संस्थानों और केंद्रों के कामकाज को देखेंगे। स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई आर्ट में करने के बाद डॉक्टरी करने को लेकर वह कहते हैं कि चिकित्सा में उनकी शुरू से ही रुचि थी, विज्ञान उनका पसंदीदा विषय है। स्कूल में अर्थशास्त्र से जुड़ाव हुआ, तो इसमें पीएचडी कर डाली। इसलिए स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों में उनका अच्छा-खासा दखल है।
लिखने का भी शौक
डॉ. भट्टाचार्य को कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार की नीतियों के खिलाफ साहसिक आवाज उठाने के लिए द अमेरिकन एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड लेटर्स ने इंटेलुक्चुअल फ्रीडम पुरस्कार रॉबर्ट जे जिमर मेडल से सम्मानित किया है। डॉ. भट्टाचार्य के शोध सरकारी कार्यक्रमों, बायोमेडिकल नवाचार और अर्थशास्त्र की भूमिका पर विशेष जोर देने के साथ ही कमजोर वर्ग के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित हैं। चिकित्सा, अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य नीति, महामारी विज्ञान, सांख्यिकी, कानून और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों के संबंध में विज्ञान पत्रिकाओं में उनके 135 लेख प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा वह कई स्वास्थ्य जर्नल के संपादक भी रह चुके हैं। दिसंबर 1998 में उनकी कौज-स्पेशिफिक मोर्टलिटी अमंग मेडिकेयर एनरॉलीज शीर्षक से किताब भी प्रकाशित हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित
कोरोना महामारी के दौरान सरकारी नीतियों की आलोचना करने की वजह से डॉ. भट्टाचार्य को तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके लिए वह सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद जब 2022 में एलन मस्क ने ट्विटर (अब एक्स) को खरीदा, तो डॉ. भट्टाचार्य को उन्होंने कंपनी के हेडक्वार्टर का भ्रमण कराया और ट्विटर से प्रतिबंध हटवाया।
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