नई दिल्ली। आज से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण रख दिया है। इस बार के आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2022 के लिए आर्थिक ग्रोथ (Economic Growth) का अनुमान 11 फीसदी पर रखा गया है। वित्त वर्ष 2021 में आर्थिक ग्रोथ रेट में 7.8 फीसदी के सिकुड़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022 के लिए नॉमिनल जीडीपी का अनुमान 15.4 फीसदी पर रखा गया है।
अर्थव्यवस्था में वी शेप्ड रिकवरी का अनुमान है। इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण कई मायने में खास है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा था। सर्वे में अर्थव्यवस्था से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां व आंकड़े हैं, जिनपर कई लोगों की निगाहे होंगी। आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि इससे जानकारी मिलती है कि सरकार को किस रफ्तार से अर्थव्यवस्था के दुरुस्त होने की उम्मीद है। सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था का रोडमैप भी है। साथ ही, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण : आर्थिक सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था पर एक तरह का आधिकारिक रिपोर्ट होता है। आमतौर पर इसे आम बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार यानी आज संसद में इसे पेश करेंगी, जोकि आम बजट पेश होने से तीन दिन पहले ही होगा। आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने की जिम्मेदारी भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम की होती है। वर्तमान में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में क्या होता है : इससे अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से दी जाती है। यह भी बताया जाता है कि भविष्य को लेकर क्या संभावनाएं हैं और आर्थिक मोर्चे पर कौन सी चुनौतियों का सामना करना होगा। इसमें विभिन्न सेक्टर्स की जानकारी होती है और उनमें रिफॉर्म्स व उपायों के बारे में भी बताया गया होता है। इस सर्वे के आउटलुक को देखते हुए ही भविष्य में नीतियां बनाई जाती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान के अलावा यह भी बताया जाता है कि आखिर क्यों यह माना जाए कि इस अनुमान के मुताबिक अर्थव्यवस्था में ग्रोथ दिखेगी या गिरावट आएगी। इसमें कई बार यह भी बताया जाता है कि किन रिफॉर्म्स की वजह से आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाया जा सकेगा।
IMF को V-Shaped रिकवरी की उम्मीद : इसी महीने जारी किए गए अपने एडवांस आकलन में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यायल (CSO) ने कहा है कि 2020-21 के लिए आर्थिक ग्रोथ -7.7 फीसदी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था 11.5 फीसदी रहेगी और 2022 में यह 6.8 फीसदी के आसपास रहेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इसे ही सबसे बेहतरीन परिदृश्य माना जा रहा है। यह वी शेप्ड रिकवरी (V-Shaped Recovery) को दर्शाता है। इसमें अर्थव्यवस्था जितनी तेजी से लुढ़कती है, उतनी ही तेजी से उबरती है। सरकार के प्रोत्साहन और नीतियों से मांग तेजी से बढ़ती है। इनकम और आउटपुट बढ़ता है, मांग बढ़ती और लोग ज्यादा खर्च करते हैं। कंपनियां अपनी क्षमता का विस्तार करती हैं और ज्यादा लोगों को नौकरी देती हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved