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    रालामंडल अभयारण्य के 100 मीटर क्षेत्र में होगा ‘ईको सेंसेटिव जोन’

    November 15, 2021

    • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जारी किया
    • नोटिफिकेशन, जल्द दावे-आपत्तियों पर सुनवाई के बाद लागू होगी व्यवस्था, इस क्षेत्र में न टाउनशिप्स होंगी न उद्योग, खदानें

    इंदौर, विकाससिंह राठौर। रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य (वाइल्ड लाइफ सेंचुरी) (Ralamandal Wildlife Sanctuary) की सीमा के 2.3455 वर्ग किलोमीटर में फैले रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य (Ralamandal Wildlife Sanctuary) के आसपास कम से कम एक किलोमीटर परिधि क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन (Eco Sensitive Zone) बनाया गया है। इस क्षेत्र में नए रहवासी, व्यावसायिक, औद्योगिक या खनन क्षेत्र (Residential, Commercial, Industrial, Mining Area) को अनुमति नहीं दी जाएगी। इसे लेकर हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने नोटिफिकेशन जारी किया है। इस पर दावे-आपत्तियों की सुनवाई के बाद जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। ईको जोन (eco zone) घोषित होने पर यहां बड़े उद्योग या खदानें शुरू नहीं हो पाएंगी, जिससे इस क्षेत्र में वनों और वन्यजीवों के विकास में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और नेशनल पार्क (Wildlife Sanctuary, National Park) का सेंसेटिव जोन 10 किलोमीटर रखने की बात कही थी, लेकिन इसे लेकर कई स्तर पर विवाद के बाद अधिकारियों को क्षेत्र तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

    अभी टाउनशिप सहित कई गतिविधियां
    रालामंडल की सीमा से जिस 100 मीटर क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन बनाया जाना प्रस्तावित है उसका कुल क्षेत्रफल 0.810 वर्ग किलोमीटर है। इसकी जद में रालामंडल गांव, नायता मुंडला, सनावदिया, बिहाडिय़ा और मिर्जापुर (Ralamandal Village, Nayta Mundla, Sanavadia, Bihadia, Mirzapur) का हिस्सा आ रहा है। इसमें अभी सिल्वर स्प्रिंग और रिवेरा टाउनशिप का हिस्सा, पटेल कॉलेज, अमय खुरासिया प्ले ग्राउंड, एक गैस गोदाम, होमगार्ड क्वार्टर्स सहित फार्म हाउस और रालामंडल गांव के साथ ही कृषि व वन क्षेत्र शामिल है।



    ईको सेंसेटिव जोन में इन पर होगा प्रतिबंध
    – स्थानीय निवासियों के घरों के निर्माण या मरम्मत के लिए जमीन खोदने को छोडक़र सभी तरह के नए और मौजूदा खनिज खनन और क्रशर प्रतिबंधित होंगे।
    – जोन में नए या मौजूदा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग को अनुमति नहीं होगी। यहां गैरप्रदूषणकारी कुटीर उद्योगों को अनुमति दी जा सकेगी।
    – किसी खतरनाक वस्तु का प्रयोग, उत्पादन या प्रसंस्करण प्रतिबंधित होगा। साथ ही ईंट भ_ों, आरा मशीनों या जलाऊ लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग भी प्रतिबंधित होगा।
    – इस क्षेत्र में बड़े होटल या रिसॉर्ट भी नहीं बनाए जा सकेंगे।
    अभी टाउनशिप सहित कई गतिविधियां


    रालामंडल की सीमा से जिस 100 मीटर क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन बनाया जाना प्रस्तावित है उसका कुल क्षेत्रफल 0.810 वर्ग किलोमीटर है। इसकी जद में रालामंडल गांव, नायता मुंडला, सनावदिया, बिहाडिय़ा और मिर्जापुर (Ralamandal Village, Nayta Mundla, Sanavadia, Bihadia, Mirzapur) का हिस्सा आ रहा है। इसमें अभी सिल्वर स्प्रिंग और रिवेरा टाउनशिप का हिस्सा, पटेल कॉलेज, अमय खुरासिया प्ले ग्राउंड, एक गैस गोदाम, होमगार्ड क्वार्टर्स सहित फार्म हाउस और रालामंडल गांव के साथ ही कृषि व वन क्षेत्र शामिल है।

    पर्यटन करेंगे विकसित
    रालामंडल को पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित कर अलग से पर्यटन योजना भी तैयार की जाएगी। ईको सेंसेटिव जोन (Eco sensetive zone) के बाहर पर्यटकों के लिए होटल और रिसॉर्ट भी खोले जाएंगे।

    अभयारण्य में हैं वन्यजीव
    2.345 वर्ग किलोमीटर के अभयारण्य में 152.5 हेक्टेयर क्षेत्र वन्यजीव जोन है। वहीं 55 हेक्टेयर में पर्यटन क्षेत्र और 27 हेक्टेयर में डियर सफारी है।
    इतने हैं वन्य जीव-यहां 28 चीतल, 19 ब्लैकबग, 42 नीलगाय, 5 भेदकी, 11 लकड़बग्घे और 10 लोमड़ी सहित अन्य वन्यजीव हैं। साथ ही 200 से ज्यादा तरह की किस्म के के पेड़-पौधे भी हैं।

    इन गतिविधियों को दिया जाएगा बढ़ावा
    ईको सेंसेटिव जोन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, जैविक खेती, ग्रामीण कारीगरी, कुटीर उद्योग, बॉयोगैस और सौर ऊर्जा, कृषि वानिकी, बागान और जड़ी-बूटियां लगाना, ईको-फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट (Rain in Eco Sensitive Zone Water Harvesting, Organic Farming, Rural Artifacts, Cottage Industries, Biogas and Solar Energy, Agro-Forestry, Plantation and Herbal Plantation, Eco-Friendly Transport) और पर्यावरण को बढ़ावा दिया जाएगा।

    होलकर करते थे शिकार
    महाराजा शिवाजीराव होलकर रालामंडल सहित कई राजा जंगल में शिकार के लिए आते थे। 1905 में यहां स्थित पहाड़ी की चोटी पर एक शिकारगाह भी बनाई गई, जिसे कुछ समय पहले वन विभाग ने म्यूजियम का रूप दिया है। वहीं 9 फरवरी 1989 को इसे वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किया गया था।

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