बालाघाट: मध्य प्रदेश में बालाघाट पोस्टल बैलेट विवाद (Balaghat Postal Ballot Controversy) थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस ने इस मामले की शिकायत दिल्ली में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India in Delhi) से की है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जहां इस मामले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन (Chief Electoral Officer Anupam Rajan) को निशाने पर लिया है, वही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ (Congress Committee President Kamal Nath) ने इसे गंभीर कदाचरण बताया है. इसी बीच बालाघाट के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉक्टर गिरीश मिश्रा ने भी प्रक्रियात्मक चूक की बात स्वीकार की है.
बताते चले कि मंगलवार (28 नवंबर) को दिल्ली में अभिषेक मनु संघवी के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से मिला और बालाघाट पोस्टल बैलेट कांड का वीडियो सौंपा. इससे पहले मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने सुबह ही इस मामले की जानकारी चुनाव आयोग को भेज दी थी. रिपोर्ट में इसे प्रक्रियात्मक त्रुटि मानते हुए नोडल अधिकारी तहसीलदार हिम्मत सिंह भवेड़ी को सस्पेंड किए जाने की जानकारी दी गई. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पोस्टल बैलेट की गोपनीयता भंग नहीं हुई है. अनुपम राजन ने कहा है कि अब आयोग से जो निर्देश प्राप्त होंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, बालाघाट के जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. गिरीश मिश्रा ने स्वीकार किया है कि इस मामले में प्रक्रियात्मक त्रुटि हुई है. स्ट्रांग रूम दोपहर 3 बजे खोला जाना था, जो समय से पहले दोपहर 1:31 बजे खोला गया. नियमानुसार वोटों की गिनती से एक दिन पहले यानी 2 दिसंबर को 3 बजे स्ट्रांग रूम में जो डाकमत आए, उनकी शार्टिंग होना थी, लेकिन सभी राजनीतिक दलों की उपस्थिति में पोस्टल बैलेट के बंडल रुटीन प्रक्रिया के तहत बनाए जा रहे थे. स्ट्रांग रूम खोले जाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी.
इसी बीच बालाघाट पोस्टल बैलट कांड को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी है. मंगलवार को उन्होंने सोशल मीडिया एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि, “पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा लोकतंत्र के बुनियादी उसूल हैं. कल बालाघाट में डाक मतपत्रों को जिस तरह से खोला गया, वह गंभीर कदाचरण है. उसके बाद सरकारी मशीनरी और जिम्मेदार अधिकारियों ने जिस तरह से इस कृत्य को सही साबित करने की कोशिश की, वह और भी अक्षम्य अपराध है. मैं चुनाव प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारी और कर्मचारियों को याद दिलाना चाहता हूं कि इस समय वह निर्वाचन आयोग के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं, जो मध्य प्रदेश सरकार से अलग एक स्वायत्त संस्था है.”
कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर कहा कि “वे इस समय किसी पार्टी या मंत्री के मातहत काम नहीं कर रहे हैं. इसलिए सभी अधिकारी कर्मचारियों से निवेदन है कि वह किसी भी असंवैधानिक या गैरकानूनी आदेश का पालन न करें और सिर्फ वही कार्य करें जो करना उनका प्रशासनिक दायित्व है. एक-एक अधिकारी और कर्मचारी की कार्यप्रणाली की रिपोर्ट जनता के पास है. मैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भी आग्रह करता हूं कि वह अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए कड़े से कड़े संघर्ष के लिए तैयार रहें. 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर जनता की मोहर लग जाएगी. इसलिए वे निर्द्वंद्व होकर अपने कार्य में जुट जाएं.सत्यमेव जयते.”
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से भी इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बालाघाट के कलेक्टर के निलंबन की मांग की गई है. लिखा गया है कि,”कलेक्टर बालाघाट ने कबूली धांधली, कलेक्टर ने स्वीकारा कि नियम विरूद्ध खोला गया स्ट्रांग रूम, राजनीतिक दलों को जो समय दिया उससे पहले ही स्ट्रांग रूम खोल लिया गया. जो कुछ भी बालाघाट में हुआ वो असामान्य है. हे! चुनाव आयोग, कब निलंबित होंगे धांधलीबाज कलेक्टर?”
विधि विशेषज्ञ और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने बालाघाट कलेक्टर पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि,”पता नहीं यह कलेक्टर कितना झूठ बोलेगा और कितने बार नये नये झूठ बोलेगा. हर कुछ घंटों में नई कहानी देता है. मध्य प्रदेश में ऐसे ऑफिसर्स की संख्या काफी है. बीजेपी ऑफिसर नहीं पार्टी वर्कर में विश्वास करती है. मध्य प्रदेश प्रशासन की बहुत बुरी हालत. पूरी तरह से यहां नई सोच के सरकार की जरूरत है.” प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने भी एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा है कि मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन बताएं कि यदि उनके नेतृत्व में चल रहा चुनाव आयोग निष्पक्ष है तो इन प्रमाणिक तथ्यों का जवाब आप नहीं तो कौन देगा….?
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