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    मार्केट के चमकते सेब खाने से बढ़ सकता है मौत का खतरा! खरीदने वाले तुरंत हो जाएं सावधान

  • April 11, 2022


    नई दिल्ली: सेब को सबसे पौष्टिक फलों में से एक माना जाता है. इसका कारण है सेब के पोषण. 100 ग्राम सेब में 52 कैलोरी, 0.3 ग्राम प्रोटीन, 13.8 ग्राम कार्ब, 10.4 ग्राम शुगर, 2.4 ग्राम फाइबर, 0.2 ग्राम फैट और 86 प्रतिशत पानी होता है. हो सकता है, आपके घर वाले भी आपसे रोजाना एक सेब खाने का बोलते होंगे. इसके लिए वे मार्केट से फ्रेश और चमकदार सेब लेकर आते हैं, ताकि आप उन्हें खाएं.

    इन चमकदार सेब को देखकर लगता है, वे फ्रेश हैं और कुछ घंटे पहले ही उन्हें बगीचे से लाया गया होगा. लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक, ये फ्रेश और चमकदार दिखने वाले सेब गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं. अगर समय पर लक्षणों की पहचान करके इलाज न किया जाए तो मौत का खतरा भी बढ़ सकता है. अगर आप भी मार्केट से फ्रेश और चमकदार सेब लेकर आते हैं, तो भारत में मिलने वाले सेब पर हुई स्टडी को जरूर पढ़ें.

    क्या कहती है स्टडी
    यह स्टडी दिल्ली यूनिवर्सिटी, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी और कनाडा के रिसर्चर्स ने मिलकर की है और यह अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के जर्नल में पब्लिश हुई है. इस स्टडी के मुताबिक, स्टोरहाउस में रखे सेब में 13 फीसदी कैंडिडा ऑरिस पाया गया. स्टोरहाउस वह होता है, जहां सेब को स्टोर करके रखा जाता है.

    दरअसल, फलों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल के कारण सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था.कैंडिडा ऑरिस एक प्रकार का फंगस है जो फंगस की तरह फैलता है. इससे कई जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाए जाने के लिए रिसर्चर्स ने नॉर्थ इंडिया के 62 सेबों की जांच की. इन सेब में 42 सेब बाजार से लिए गए थे और बाकी 20 सेब सीधे बगीचे से लिए गए थे.


    स्टडी में क्या निष्कर्ष निकला
    यह रिसर्च सेब की 2 किस्मों रेड डिलीशियस और रॉयल गाला पर की गई थी. स्टडी करने के बाद रिसर्चर्स ने पाया कि 62 सेब में से 8 सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था. निष्कर्ष में पाया कि जिन 8 सेब पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था, उनमें से 5 सेब रेड डिलीशियस थे और तीन रॉयल गाला थे.

    रिसर्च के मुताबिक, बगीचों से लाए गए सेबों में कैंडिडा ऑरिस होने के कोई सबूत नहीं मिले थे, जबकि मार्केट से लिए गए सेबों में समय के साथ कैंडिडा ऑरिस विकसित हो गया था. इसका कारण है कि कई फल वाले फलों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने और लंबे समय तक उपयोग कर पाने के कारण उन पर कैमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कैंडिडा ऑरिस विकसित हो जाता है.

    हो सकता है मौत का खतरा
    रोग नियंत्रण और रोकथाम के अनुसार, कैंडिडा ऑरिस बीमारी फैलाने वाले 5 कवकों की लिस्ट में आता है, जो शरीर में कई तरह की बीमारियों को पैदा कर सकता है.

    Medicalnewstoday के मुताबिक, कैंडिडा ऑरिस संक्रमण के लक्षणों को पहचानना चुनौतीपूर्ण मानते हैं, क्योंकि यह आमतौर पर पहले से ही बीमार लोगों को अपना शिकार बनाता है. शरीर में कैंडिडा ऑरिस किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है, उसके मुताबिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. यह घाव, ब्लड फ्लो सहित कई जगहों पर विकसित हो सकता है.

    इसके सामान्य लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है. इसकी पहचान करने के लिए लैब में टेस्ट कराया जाता है. इसकी पहचान होने पर तुरंत इसका प्रारंभिक इलाज जरूरी है, नहीं तो यह पूरे शरीर या खून में फैल जाता है और गंभीर बीमारियों लक्षण पैदा कर सकता है. जिससे मौत का खतरा भी हो सकता है.

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