– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
किसी देश के समग्र विकास में स्वास्थ्य भी शामिल है। इसमें स्वस्थ जीवन शैली का समावेश है। भारतीय चिंतन में भी यही संदेश दिया गया। प्राचीन भारत के ऋषियों ने सभी के लिए जीवेत शरदः शतम की कामना की थी, अच्छे स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी बताया था। इसके लिए आहार, विहार, योग, यम, प्राणायाम का मंत्र दिया। उस अनाज के सेवन का संदेश दिया, जिसे मोटा अनाज नामकरण से उपेक्षित किया गया। प्रकृति के निकट रहने, उसके संरक्षण व संवर्धन के सुझाव दिया। गौ दुग्ध का महत्व बताया। इसलिए गौ सेवा का मंत्र दिया। आधुनिकता की दौड़ में यह सभी विचार पीछे छूटते गए, बीमारियां बढ़ती गई, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती गई। लेकिन समय के साथ दुनिया को इस भूल का अनुभव हो रहा है। ऐसे में भारत की ओर सबका ध्यान आकृष्ट हो रहा है। अब वही मोटा अनाज प्रमुख होता जा रहा है। आयुर्वेद के सूत्र उपयोगी लग रहे हैं। हल्दी, सहजन, तुलसी, काढ़ा, गाय का दूध, योग आदि बहुत कुछ अब आधुनिक जीवन शैली की पहचान बनते जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग के प्रति दुनिया को जागरूक किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया को प्रेरणा दे रहा है। इसी प्रकार मोदी ने फिट इंडिया अभियान शुरू किया था। इसके अंतर्गत देश में अनेक कार्यक्रम व योजनाएं चलाई गई। कोरोना संकट में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। इसके दृष्टिगत भारतीय विचारों को उपयोगी माना गया। कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी ने बताया था कि मैं सहजन का नियमित सेवन करता हूँ। उनकी मां हल्दी सेवन की हिदायत देती है। यह उनका विचार मात्र नहीं है। बल्कि यह प्राचीन भारत के आयुर्वेद का निर्देश है। जिसपर अमल करके प्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सकती है। नरेंद्र मोदी ने देश के सभी नागरिकों को फिटनेस व प्रतिरोधक क्षमता के प्रति सजग रहने का आग्रह किया था। कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान फिटनेस की खुराक अधिक कारगर है। हर दिन आधा घंटे का फिटनेस डोज हमारे स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए जरूरी है। उस समय नरेंद्र मोदी के सूर्य नमस्कार के वीडियो को बहुत पसंद किया गया था।
मोदी ने ईट लोकल, थिंक ग्लोबल का सूत्र वाक्य दिया था। यह उनके वोकल से लोकल अभियान पर ही आधारित है। मोदी ने बताया था कि वह पहले भी सहजन के पराठे खाते थे, आज भी सप्ताह में एक-दो बार इसका सेवन करते हैं। ईट लोकल में स्वास्थ्य का विचार शामिल है। लोकल फूड्स का सेवन करने से उस क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ हम स्वास्थ्य को संतुलन में ला सकते हैं। घी अमेरिका में सबसे ज्यादा खोजा जाने वाला शब्द है। जो गांव के घर-घर का प्रोडक्ट है। दादी-नानी के नुस्खे को आज विज्ञान सही मान रहा है। जिसका सदियों पहले से वर्णन हो चुका है। लोग इस्तेमाल भी कर रहे हैं। हल्दी स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है।
फिट इंडिया मुहिम लोगों को फिटनेस के बारे में समझने का बहुत बड़ा अभियान है। इसका शुभारंभ नरेंद्र मोदी ने किया था। इसी प्रकार सुपोषण के प्रति जागरूकता का भी अभियान चलाया गया। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन वर्ष पूर्व अपने सरकारी आवास से सुपोषण अभियान का शुभारंभ किया था। इसके माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था। इसके लिए महंगे खाद्य पदार्थों का सेवन अनिवार्य नहीं होता। प्रकृति अनेक खाद्य पदार्थ सहज रूप में उपलब्ध कराती है। इनका सेवन स्वास्थ्य वर्धक होता है। कुछ दशक पहले तक भारत में यह सब हमारी जीवन शैली में समाहित था। आधुनिक सभ्यता ने इसका महत्व कम किया। वर्तमान सरकार भारत की परम्परागत जीवन शैली को पुनः अपनाने के प्रति लोगों को जागरूक बनाना चाहती है। सुपोषण अभियान का यही उद्देश्य है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारम्भ किया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने प्रदेश के चौबीस जनपदों के पांच सौ उनतीस आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया। आनन्दी बेन ने कहा कि देश व प्रदेश को सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं बालिकाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय आवश्यक है। महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है। कुपोषण से छुटकारा दिलाने में जनसहभागिता की उपयोगी भूमिका है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करने के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है। इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री द्वारा देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत अनेक प्रकार की गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा। पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा। इसके तहत सरकारी स्कूलों,आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों,ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए। माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान किशोरियों, बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा। तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री,अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे।
योगी सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के सुपोषण के सम्बन्ध में अनेक अभिनव प्रयोग किये हैं। जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार अस्थायी अथवा किराये के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपना भवन उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है। इसके अंतर्गत पांच सौ उनतीस आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का लोकार्पण किया गया है। प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के साथ ही प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्कूली शिक्षा का कार्य भी आगे बढ़ सके। बच्चों को शासन द्वारा प्रदान की जा रही स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं सुलभ कराई जा रही है।
योगी सरकार ने महिला सशक्तीकरण हेतु सार्थक प्रयास किये हैं। मिशन शक्ति तीन का संचालन किया जा रहा है। महिला आरक्षियों को बीट की जिम्मेदारी दी गयी है। यह आरक्षी महिलाओं के सम्बन्ध में जागरूकता का प्रसार का कार्य भी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों,आशा वर्कर्स तथा एएनएम द्वारा स्क्रीनिंग और मेडिसिन किट वितरण का कार्य किया गया। इससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी सहायता मिली। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों तथा आशा वर्कर्स के मानदेय की वृद्धि के सम्बन्ध में कार्यवाही संचालित है। इनके बकाया भुगतान के निर्देश भी दिये गये हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद तथा माध्यमिक स्कूलों में किचन गार्डेन स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने कुपोषित माँ व बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए दूध की उपलब्धता हेतु जिला प्रशासन को जनपद स्तर पर निराश्रित गोवंश में से गाय उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश के पालन हेतु प्रति गोवंश नौ सौ रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराये जा रहे हैं। प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति हेतु कुपोषण से मुक्ति पर जोर दिया गया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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