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न्याय में आसानी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि व्यापार करने में : पीएम नरेंद्र मोदी

July 30, 2022


नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि न्याय में आसानी (Ease of Justice) उतनी ही महत्वपूर्ण है (Is as Important as) जितनी कि व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business), ताकि बंदियों की रिहाई में (In the Release of Prisoners) तेजी लाई जा सके (To Accelerate) । प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और डी.वाई. चंद्रचूड़ के अलावा कानून मंत्री किरन रिजिजू के साथ मंच साझा कर रहे थे।


अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और न्याय तक पहुंच और न्याय प्रदान करना भी समाज के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह आजादी के अमृत काल का समय है। यह उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षो में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। व्यापार करने में आसानी और जीवन में आसानी, न्याय की आसानी की तरह देश की इस अमृत यात्रा में भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”

पीएम मोदी ने विचाराधीन कैदियों के प्रति संवेदनशीलता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ऐसे बंदियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ले सकते हैं। उन्होंने विचाराधीन समीक्षा समितियों के अध्यक्ष के रूप में जिला न्यायाधीशों से भी विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाने की अपील की। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में एक अभियान चलाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की सराहना की और बार काउंसिल से इस अभियान में शामिल होने के लिए और अधिक वकीलों को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

पीएम ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में कानूनी सहायता के स्थान पर प्रकाश डाला और कहा कि यह महत्व देश की न्यायपालिका में नागरिकों के विश्वास में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा : “न्यायिक प्रणाली तक पहुंच किसी भी समाज के लिए जितनी महत्वपूर्ण है, न्याय प्रदान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। न्यायिक बुनियादी ढांचे का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले आठ वर्षो में देश का न्यायिक ढांचा मजबूत करने के लिए तेजी से काम किया गया है।”

पीएम ने कहा कि सरकार न्याय वितरण तंत्र में सुधार के लिए न्यायिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण पर 9,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही  है। उन्होंने न्यायपालिका में ई-कोर्ट मिशन और प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा, “ई-कोर्ट मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू किए जा रहे हैं। ट्रैफिक उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बुनियादी ढांचे का भी विस्तार किया जा रहा है।”

पीएम ने कहा कि देश में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक करोड़ से अधिक मामलों की सुनवाई हुई है और यह साबित करता है कि “हमारी न्यायिक प्रणाली न्याय के प्राचीन भारतीय मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है और साथ ही, 21वीं सदी की वास्तविकताओं से मेल खाने के लिए तैयार    है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक आम नागरिक को संविधान में अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हें अपने संविधान के बारे में पता होना चाहिए, और संवैधानिक संरचनाएं, नियम और उपाय, और प्रौद्योगिकी इसमें भी बड़ी भूमिका निभा सकती है।

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