अंकारा (Ankara)। तुर्की (Turkey) में एक बार फिर भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप के झटके इतने तेज रहे कि इंडियन आर्मी के अस्पताल (Indian Army Hospital) में भी दरारें पड़ गई हैं. कुछ और जगहों से भी नुकसान की खबरें आ रही हैं. इस समय सावधानी बरतते हुए भारतीय सेना के जवान (indian army soldiers) भी बिल्डिंग की जगह टेंट में रह रहे हैं. लोगों से भी यहीं अपील की जा रही है।
तुर्की की मदद कर रहा भारत
जानकारी के लिए बता दें कि तुर्की और सीरिया में कुछ दिन पहले भूकंप से भारी तबाही देखने को मिली थी. तबाही इस स्तर की हुई कि मौत का आंकड़ा 36000 को भी पार कर गया है। अभी भी जमीन पर रेस्क्यू जारी है और लगातार शव बाहर निकाले जा रहे हैं. इस रेस्क्यू मिशन में भारत ने तुर्की की बड़ी मदद की है। एनडीआरफ की कई टीमें भेजी गई हैं, राहत सामग्री भी लगातार पहुंचाई जा रही है. भारतीय सेना ने तो तुर्की में अपने अस्पताल भी बना लिए हैं, जहां पर घायलों को उपचार मिल रहा है. कुछ दूसरे देश भी अपनी तरफ से तुर्की को सहायता भेज रहे हैं।
भूकंप से कैसे मची तबाही?
यहां ये समझना जरूरी है कि तुर्की में पहले भी कई मौकों पर भूकंप आए हैं, लेकिन इस बार का भूकंप ज्यादा तेज रहा, तीव्रता 7 के पार चली गई। दो झटकों ने तुर्की और सीरिया की तस्वीर बदलकर रख दी. इमारतें जमींदोज हो गईं, लोग मलबे में दब गए और कई जिंदगियां हमेशा के लिए खत्म। तुर्की में भूकंप का पहला झटका 6 फरवरी की सुबह 4.17 बजे आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप का केंद्र दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था. इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका।
इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा. भूकंप के इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर सहित 11 प्रांतों में तबाही मचा दी. शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया. बताया जा रहा है कि इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई. इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद शाम 5.30 बजे भूकंप का 5वीं झटका आया. इसे बड़े भूकंप से पहले साल 1999 में भी तुर्की में भारी तबाही देखने को मिली थी. तब भूकंप ने 18000 लोगों की जान ली थी।
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