नई दिल्ली: धरती (Earth) की ओर तेजी से बढ़ रहा सौर तूफान (Solar Storm) किसी भी वक्त पृथ्वी से टकरा (collide with the earth) सकता है। इससे पहले रविवार और सोमवार (11 से 12 जुलाई) के बीच इसके धरती से टकराने की भविष्यवाणी की गई थी। सूर्य की लपटों के कारण उपजा यह तूफान (This storm arose due to the flames of the sun) 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे (16 lakh kmph) से ज्यादा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों को आशंका है कि इस तूफान के वायुमंडल से टकराने के कारण खासी हलचल हो सकती है. यह टक्कर सैटेलाइट सिग्नल को बाधित कर सकती है. इसका सीधा असर रेडियो सिग्नल, संचार और मौसम पर भी पड़ सकता है.
यूं कहें कि ये तेज हवाएं पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में जियोमैगनेटिक तूफान ला सकती हैं, जिससे मोबाइल, जीपीएस, सैटेलाइट टीवी, हवाई यात्राओं आदि पर असर पड़ सकता है. इतना ही नहीं यह तूफान पृथ्वी के मैगनेटिव फील्ड में आने वाले अंतरिक्ष पर भी अहम असर डाल सकता है.
सूर्य (Sun) के वातावरण में एक होल बन गया है, जिससे आवेशित कण और तेज गति वाली सौर हवाएं निकल रही हैं. तेजी से धरती की ओर बढ़ रहा यह तूफान आज ग्रह के कुछ हिस्सों में दस्तक दे सकता है. नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने कहा है कि 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही इन हवाओं की गति बढ़ भी सकती है।
1582 में आए महातूफान
स्पेसवेदर की रिपोर्ट के अनुसार, 1582 में आए महातूफान को दुनिया में देखा गया था. उस वक्त लोगों को ऐसा लगा कि धरती खत्म होने वाली है. उस समय के पुर्तगाल के लेखक सोआरेस ने लिखा है, ‘उत्तरी आसमान में हर तरफ तीन रातों तक बस आग ही आग दिखाई दे रही थी.’ उन्होंने आगे लिखा, ‘आकाश का हर हिस्सा ऐसा लग रहा था जैसे मानो आग की लपटों में तब्दील हो गया हो. मध्यरात्रि को भयानक आग की किरणें उभरकर सामने आईं जो बहुत भयानक और डरावनी थी.’
4 साल में सबसे बड़ा सौर तूफान
इससे पहले नेशनल वेदर सर्विस के स्पेस वेदर प्रिडिक्शन सेंटर ने जून में जी -1 श्रेणी के भू-चुंबकीय तूफान आने के बारे में भविष्यवाणी की थी. वहीं हाल ही में 4 सालों का सबसे बड़ा सौर तूफान देखा गया था, जिसने अटलांटिक पर रेडियो ब्लैकआउट पैदा कर दिया था.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved