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    पृथ्वी के पास भी होगा शनि ग्रह की तरह छल्ला, जानिए क्या है मामला

  • November 28, 2021

    नई दिल्ली। अंतरिक्ष में कचरा (Space Debris) बढ़ना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अब शोधकर्ता भी कह रहे हैं कि पृथ्वी (Earth) के पास जल्दी शनि ग्रह (Saturn) जैसा छल्ला या रिंग हो जाएगी जो केवल उस कचरे से बनी होगी जिसे अब तक के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की वजह से बनी होगी। जहां शनि की रिंग या छल्ला प्राकृतिक है जो बर्फ और चट्टानों के टुकड़ों से बना है। वह पृथ्वी की रिंग पूरी तरह से अंतरिक्ष के कचरे से बनी होगी और ज्यादा देशों के अभियान अंतरिक्ष में भेजे जाने से यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाएगी।

    हाल ही में रूस ने एंटीसैटेलाइट हथियार का परीक्षण किया था जिससे अंतरिक्ष में सैटेलाइट का कचरा (Space Debris) बढ़ने के संभावनाओं को और बल दे दिया था। नासा और अमेरिकी सरकार ने रूस पर ऐसे परीक्षण कर अंतरिक्ष के कचरे की समस्या को और गंभीर करने का आरोप लगाया था. इस परीक्षण से पृथ्वी (Earth) की कक्षा में हजारों अलग अलग आकार के टुकड़े पैदा हो गए थे।


    इस तरह के टुकड़े इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) और दूसरे सैटेलाइट की जियोस्टेशनरी कक्षा में कचरे (Space Debris) की समस्या बढ़ा रहे हैं। इनसे अंतरिक्ष अमेरिकी, रूसी और चीनी अंतरिक्ष यात्रियों की जान को भी खतरा है। अंतरिक्ष का कचरा वहां मौजूद सैटेलाइट (Satellites) के साथ इंसानों की जान के लिए भी खतरनाक हो गए हैं ऐसे में वैज्ञानिक अंतरिक्ष में कचरे को कम करने की युक्तियां निकालने पर गहन शोध भी कर रहे हैं।

    नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक विकल्प भी दिया है। उन्होंने मैग्नेट (Magnet) के जरिए अंतरिक्ष के कचरे (Space Debris) को कम करने का प्रस्ताव दिया है। ऊटाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जैक एबोट और उसका साथियों ने यह प्रस्ताव पेश किया है। शोधकर्ता मैग्नेट का उपयोग कर कचरे को जमा करेंगे. जबकि अभी तक इसके लिए रोबोट (Robot) का उपयोग करने की बात की जाती रही है। इस तकनीक में यह देखना होगा कि इस कचरे के जमा होने के बाद कैसे हटाया जाएगा।

    एबोट का कहना है कि घूमती हुए कचरे (Space Debris) को जमा करने के लिए रोबोट का उपयोग अव्यवहारिक होगा क्योंकि इन कचरे के टुकड़ों में रोबोट की भुजाएं तक तोड़ने की क्षमता होगी। इससे और भी ज्यादा कचरा बनेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि मैग्नेट (Magnet) व्यवहारिक रूप से ज्यादा कारगर साबित होगी और इसमें अधिक कचरा पैदा होने का खतरा भी नहीं होगा. एबोट का दावा है कि मैग्नेट बहुत बढ़िया समाधान होंगे क्यों इससे वह कचरा भी साफ होगा जो धातु से नहीं बना है।

    यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के मुताबिक अंतरिक्ष 17 करोड़ कचरे के टुकड़े (Space Debris) ऐसे हैं जिनका आकर 1 मिलीमीटर से बड़ा है। जहां बड़े टुकड़े एक सैटेलाइट से टकराकर उसे तबाह कर सकते हैं, छोटे टुकड़े भी अंतरिक्ष यान के जरूरी सिस्टम को खराब कर सकते हैं। इनके लगभग सभी टुकड़े घूमते हुए पृथ्वी (Earth) का चक्कर लगा रहे हैं और उनमें से कुछ तो पृथ्वी पर गिरते भी रहते हैं। इस साल के शुरू में वॉशिंगटन राज्य के एक खेत में फॉल्कन 9 का एक टुकड़ा गिरा भी था।

    खगोलविदों का मानना है कि करीब 19 हजार टुकड़े (Space Debris) पृथ्वी की निचली कक्षा में घूम रहे हैं यह कक्षा पृथ्वी (Earth) से 200 किलोमीटर से लेकर 2000 किलोमीटर तक स्थित है। सभी कचरा कुल मिलाकर करीब 7500 मैट्रिक टन होगा जो करीब 1100 हाथियों के वजन के बराबर होगा. हार्वर्ड –स्मिथसनियन सेंटर ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के भौतिकविद जोनाथन मैग्डॉवल का कहना है कि कचरे के करोड़ों टुकड़े अंतरिक्ष में जो रेडार पर दिखाई तो नहीं देते, लेकिन भी आईएसएस (ISS) और भावी अभियानों के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं।

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