जैसलमेर (Jaisalmer) । जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ज से लगती सीमा पर बीएसएफ (BSF) द्वारा पकड़े गए ट्रेंड शिकारी फाल्कन यानी बाज (Hawk) की मौत (Death) हो गई. वन विभाग (Forest department) ने मृत बाज के शव का 3 डॉक्टरों की नगरानी में मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम करवाया गया. बताया जाता है कि अरब के शहजादों का ये बाज पाकिस्तानी सीमा से उड़कर भारतीय सीमा में घुस आया था. माना जा रहा है कि वह रास्ता भटककर भारतीय सीमा में घुस आया होगा.
इसके पंखों पर लगे हाई टेक्निक के अमेरिकी कंपनी के जीपीएस को बीएसएफ ने रिकवर कर एनटीआरओ नई दिल्ली में गहन जांच पड़ताल के लिए भिजवाया है. बाज के पैरों में लगे छल्लों की भी जांच पड़ताल की जा रही है. डेजर्ट नेशनल पार्क के डिप्टी कन्जर्वेटर फॉरेस्ट आशीष व्यास ने फाल्कन की मौत की पुष्टि की.
उन्होंने कहा कि बीएसएफ ने सीमा पर पकड़े गए जिस फाल्कन को वन विभाग के सुपुर्द किया था, उसकी कुछ घंटों बाद मृत्यु हो गई. वन विभाग ने अपनी कस्टडी के दौरान बाज को खाना और पानी दिया, लेकिन बाज ने कुछ भी खाया-पीया नहीं. संभवतः थकने के कारण या बीमारी होने के कारण उसकी नेचुरल डेथ होने की संभावना है. मेडिकल बोर्ड ने उसका पोस्टमार्टम किया है. रिपोर्ट आने के बाद ही बाज की मौत का सही कारण पता चल सकेगा.
पैरागॉन नस्ल का है बाज
आशीष व्यास ने बताया कि सीमा पर पकड़ा गया बाज पैरागाॅन नस्ल का है. यह बढ़िया नस्ल का बाज माना जाता है और इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है. अरब देशों में इस नस्ल के बाज को ट्रेंड कर शिकार के लिए भी काम लिया जाता है. बताते चलें कि इस प्रजाति के बाज को शिकार के लिए ट्रेंड करने में पांच से 15 लाख रुपए का खर्चा आता है.
पुलिस अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जिस बाज को पकड़ा था, उसके पंखों पर उच्च तकनीकी का जीपीएस फिट किया गया था. उसे गहन जांच पड़ताल के लिए एनटीआरओ नई दिल्ली भिजवाया गया है. बाज के पंजों में लगी रिंग की भी जांच की जा रही है. सभी एजेंसियां इस मामले में गहन जांच पड़ताल कर रही हैं.
जैसलमेर बॉर्डर के पास डेरा डाले हैं अरब देशों के रॉयल फैमिली के लोग
अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अरब देशों के रॉयल फैमिली के लोग इन दिनों जैसलमेर बॉर्डर के सामने माइग्रेट्री बर्ड्स हुबारा सहित अन्य दुर्लभ पक्षियों के शिकार के लिए डेरा जमाए हुए हैं. उनके पास ट्रेंड पैरागॉन जाति के फाल्कन हैं. सीमा के पास पकड़े गए बाज से जो जीपीएस मिला है, वह भी करीब 50 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये के बीच में मिलता है.
इस जीपीएस की लिमिट 150 से 200 किमी के दायरे में होती है. सूत्रों ने बताया कि यह बाज काफी शक्तिशाली और शार्प होते हैं. काफी स्पीड में उड़ते हुए पक्षियों को झपट्टा मारकर घायल कर देते हैं. बाज पर लगे जीपीएस से उसके हैंडलर को सिग्नल मिलते रहते हैं. हैंडलर बाज के पीछे पीछे गाड़ियों से आकर घायल किए गए पक्षी को रिकवर करते हैं. यह बाज एक बार उड़ान भरने के बाद 250 किमी से भी ज्यादा दूरी तय कर सकते हैं. ये कुछ दिनों तक भूखे-प्यासे रह सकते हैं.
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