उज्जैन। ई-रिक्शा ने पुराने शहर और महाकाल क्षेत्र को जाम कर दिया है। हर रोज शोरुम से 30 से 40 ई रिक्शा विक्रय हो रही हैं। इसमें से 20 से 30 ही आरटीओ में रजिस्टर्ड हो रही है जबकि सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से ई-रिक्शा शहर में संचालित हो रही है। यहाँ तक जानकारी मिली है कि शोरुम से सीधे रोड पर ई रिक्शा उतर रही हैं।
सिंहस्थ 2016 से पूर्व जून 2015 में शहर को प्रदूषण मुक्त परिवहन उपलब्ध कराने के इरादे से शुरू हुई ई-रिक्शा ने शहर का यातायात प्रदूषित कर दिया है। आरटीओ से हुए एग्रीमेंट के तहत शहर में केवल 500 ई रिक्शा संचालित करने का निर्णय हुआ था लेकिन पिछले 7 सालों में दिसंबर 2022 तक 1500 ई-रिक्शा आरटीओ में रजिस्टर्ड हुई। यहाँ तक भी ठीक था लेकिन पिछले 7 महीने में जनवरी से लेकर जून 2023 तक कुल 3000 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हो गई हैं। महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद शहर में ई-रिक्शा का धंधा ऐसा फला फूला कि लोगों ने अपने काम धंधे बदल दिए और ई-रिक्शा खरीदकर चलाने लगे। नगर निगम ने छत्री चौक से जिन ठेले वालों को हटाया था लगभग सभी ने ई-रिक्शा और आटो खरीद लिए हैं। वर्तमान में हर दिन शहर के 5 शोरुम से 30 से 40 ई रिक्शा विक्रय हो रही हैं जबकि 20 से 30 ई-रिक्शा आरटीओ में रजिस्टर्ड हो रही हैं। आरटीओ या ट्रैफिक पुलिस ने अब तक इनके नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ट्रैफिक डीएसपी एचएन बाथम का कहना है कि महाकाल लोक लोकार्पण के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने रोजगार के लिए ई-रिक्शा खरीदी लेकिन अब यह ट्रैफिक की बड़ी समस्या बन गई हैं। शासन को इसके विक्रय पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, आरटीओ को रजिस्ट्रेशन बंद करना चाहिए। आरटीओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार शोरुम संचालकों को सख्त निर्देश हैं कि बगैर आरटीओ टैक्स, फिटनेस और रजिस्ट्रेशन के ई रिक्शा विक्रय नहीं होना चाहिए। यदि इसमें धांधली हो रही है तो जाँच का विषय है।
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