जबलपुर। रोड नेटवर्क में विस्तार के चलते शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। नए वार्डों में कई रिहायशी कॉलोनी आकार ले रही हैं। डेढ़ दशक में नगर की सीमा बढकर दो गुना हो गई है। तिलवारा, भटौली, तिलहरी, अमखेरा, करमेता, अंधुआ, मोहनिया, मानेगांव, इलाकों में रिहायशी कॉलोनी विकसित हो रही हैं। लेकिन इन क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुगम नहीं हैं। कई मार्गों में मेट्रो बस की सुविधा नहीं है। इन क्षेत्रों के रहवासी रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल से लेकर अन्य स्थानों पर आवाजाही के लिए ऑटो, ई-रिक्शा पर निर्भर हैं। ऑटो व ई रिक्शा चालक मनमाना किराया वसूलते हैं।
मेट्रो बसों की संख्या
इन मार्गों पर संचालित है बसें
शहर में मेट्रो बस चौदह मार्गों में संचालित हैं। तीन पत्ती चौक, आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन से होकर कई प्रमुख स्थलों तक तो मेट्रो बस संचालित की जा रही है। लेकिन कई मार्ग ऐसे हैं जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट का कोई साधन नहीं है। रेलवे स्टेशन से घमापुर, भानतलैया, रद्दी चौकी होकर अधारताल-पनागर रोड पर मेट्रो बस संचालित नहीं हो रही है। इस कारण इस ओर आने वाले यात्रियों को तीन पत्ती से घूमकर आना पड़ता है।
अतिक्रमण बन रहे बस संचालन में बाधक
जानकारी अनुसार रांझी के बड़ा पत्थर, मानेगांव, मोहनिया इलाके में कई कॉलोनी विकसित हो गई हैं। इस क्षेत्र में आवाजाही मार्गों में अतिक्रमण के कारण मेट्रो बस संचालित नहीं हो पा रही हैं। इसी तरह गौरीघाट से भटौली, तिलहरी मार्ग पर मेट्रो बस का संचालन शुरू हो तो बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को नर्मदा तट पर पहुंचने के लिए लंबा फेरा नहीं लगाना पड़ेगा। उनके लिए ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन पहुंचना भी सुगम हो जाएगा।
शहर के कई मार्गों में निर्माण कार्य जारी है। कुछ मार्ग संकरे होने के कारण वहां मेट्रो बस का संचालन नहीं हो पा रहा है। जल्दी मेट्रो बसों के मार्गों का फिर से रिव्यू किया जाएगा, जिससे शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और बेहतर हो सके।
सचिन विश्वकर्मा, सीईओ जेसीटीएसएल
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