नई दिल्ली । भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने शुक्रवार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) के संभावित खतरों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि इसे बिना किसी रोक-टोक के जारी रखा जाए तो यह समाज में अधिक संसाधन और शक्ति रखने वाले लोगों को अन्य कमजोर वर्गों की आवाज दबाने का अवसर प्रदान कर सकती है। केरल हाईकोर्ट में “संविधान के तहत बंधुता – एक समावेशी समाज की खोज” विषय पर संविधान दिवस पर व्याख्यान देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि असमान समाज में शक्तिशाली लोग अपनी स्वतंत्रता का उपयोग कमजोर वर्गों के खिलाफ काम करने के लिए कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “एक असमान समाज में जिनके पास शक्ति है वे अपनी स्वतंत्रता का उपयोग ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में करेंगे जो कमजोर वर्गों के लिए हानिकारक होंगी। यदि अभिव्यक्ति पूरी तरह से स्वतंत्र हो तो अधिक संसाधन और शक्ति रखने वाले लोग दूसरों की आवाजों को दबा सकते हैं।”
चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक संवैधानिक गारंटी और आकांक्षा है, वहीं इसकी अनियंत्रित अभिव्यक्ति समाज में नफरत फैलाने वाली भावनाओं को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे बयान समाज की समानता को बाधित कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संवैधानिक गारंटी और आकांक्षा है लेकिन यदि यह नफरत भरी हो जाती है। यह स्वतंत्रता समानता को नष्ट कर देगी।”
चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि यदि समाज में सभी को समान रूप से बिना किसी अंतर के देखा जाए और संसाधनों के असमान वितरण को नजरअंदाज किया जाए तो यह अधिक संसाधनों वाले लोगों को लाभ पहुंचाएगा और कमजोर वर्गों को और हाशिए पर धकेल देगा। उन्होंने कहा, “समानता कमजोर वर्गों की स्वतंत्रता को नष्ट कर सकती है। बंधुता एक लोकतंत्र में महान स्थिरता का बल है, जो सभी के लिए काम करती है।”
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