देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने राज्य में प्लास्टिक निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका (Public interest litigation) पर मंगलवार को सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी (Justice Vipin Sanghi) व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम इस प्रदेश को साफ सुथरा देखना चाहते हैं, इसलिए समाज को जागरूक करना जरूरी है. कोर्ट ने कमिश्नर कुमाऊं और गढ़वाल को निर्देश दिए हैं कि पूर्व के आदेशों का पालन करते हुए सभी जगहों में सॉलिड वेस्ट फैसिलिटी का संचालन अगली तिथि तक करना सुनिश्चित करें.
इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार (state government) से सभी प्लास्टिक पैकेजिंग कम्पनियां, जो उत्तराखंड के अंदर कार्यरत हैं, उनके इपीआर प्लान सेंटर पोर्टल पर अपलोड करने को कहा है. कोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से उनके यहां रजिस्टर्ड कम्पनियां, जो उत्तराखंड में कायर्रत है उनका कल्ट बैग प्लान राज्य प्रदूषण बोर्ड के साथ साझा करने को कहा है. साथ ही राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए हैं कि राज्य की सीमा में जितने भी वाहन आते हैं, उनमें पोर्टेबल डस्टबिन लगाने की व्यवस्था नियम बनाकर करें. कोर्ट ने सभी कम्पनियों को आदेश दिए हैं कि जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन राज्य प्रदूषण बोर्ड में नहीं किया है, वे 15 दिन के भीतर अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य करा लें.
बता दें कि सुनवाई के दौरान कमिश्नर कुमायूं, कमिश्नर गढ़वाल, सचिव वन एवं पर्यावरण व मेम्बर सैकेट्री पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व्यक्गित रूप से पेश हुए. कमिश्नर कुमायूं के द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि कुमायूं मंडल में 782 वेस्ट स्पॉट हैं. जिनमें से 500 स्पॉटों को साफ कर दिया है. कूड़ा निस्तारण के लिए मंडल के जिला अधिकारियों व उपजिला अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं. इस सम्बंध में अधिकरियों ने मंडल में 3101 दौरे भी किये हैं. कमिश्नर गढ़वाल की ओर से कहा गया कि मंडल के अधिकाशं जिलों में कूड़े का निस्तारण रुद्रपयाग व चमोली को छोड़कर कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में तय की गई है.
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