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    आठ करोड़ के अमृत सरोवरों में उड़ रही धूल

  • April 27, 2023

    • जल संरक्षण और संग्रहण के नही आए काम

    सीहोर, कपिल सूर्यवंशी
    गर्मी के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट से निपटने और भूजल स्तर का बरकरार के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अमृत सरोवर योजना की शुरूआत की। योजना के तहत जिले में अमृत सरोवर भी बन गए, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट की आहट होने लगी है तो ऐसे में जिलेभर में अमृत सरोवरों में बूंद भर पानी नहीं है, इन सरोवरों में धूल उड़ रही है। न तो ये सरोवर क्षेत्र का जल स्तर बढ़ाने में कामयाब हुए और न ही जल संग्रहण के काम आ सकें। गौरतलब है कि जिले में इस योजना के तहत बनाए गए अमृत सरोवरों पर करीब आठ करोड़ रूपये की राशि खर्च हो गई है, अधिकांश सरोवर बन चुके हैं लेकिन यह तालाब खाली पड़े हुए हैं, इनके बनने के बाद भी क्षेत्र के लोगों को इस गर्मी में लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि इनमें पानी होता तो क्षेत्र का जल स्तर बढ़ता और गर्मी के दिनों में पशु पक्षियों के लिए पानी मिलता, लेकिन यह योजना मूल उददेश्य की पूर्ति नहीं कर सकीं। इससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं इस योजना के क्रियान्वयन में तो कोई चूक नहीं हुई है।

    जिले में योजना की स्थिति
    जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत 76 तालाबों के स्वीकृत हुए थे, जिनके निर्माण में 8 करोड़ रूपये की राशि खर्च होना है, योजना की शुरूआत बीते वर्ष अप्रेल माह में हुई थी। इसमें आष्टा ब्लाक में 11, बुधनी में 7, इछावर में 15, भेरूंदा 6, सीहोर में 22 तालाब स्वीकृत हैं वर्तमान में 61 तालाब बन चुके हैं। जबकि 15 तालाब निर्माण मनरेगा योजना के तहत किया जा रहा है। सीहोर, इछावर, और आष्टा ब्लाक में गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या रहती है, इसलिए यहां योजना के तहत अधिक तालाब तो बनाए गए लेकिन उसका लाभ नहीं मिला।


    नहीं बन सके रोजगार के साधन
    अमृत सरोवर योजना के तहत बनने वाले तालाबों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना भी एक मकसद था, इन तालाबों में मछली पालन और सिंघाड़ा की खेती भी की जानी थी, इन तालाबों में पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण से मत्स्य कृषक मछली पालन और सिंघाड़ा की खेती नहीं कर पाए। वहीं गर्मी के दिनों में ग्रामीणों के लिए पशुओं के पेयजल का साधन भी नहीं बन पाए। जबकि प्रत्येक तालाब पर करीब 10 से 14 लाख रूपये की राशि खर्च की गई है।

    अमृत सरोवरों साल के आठ महीने तक पानी रहता है, ग्रामीण क्षेत्रों का जल स्तर बढ़ रहा है। जो निर्माणाधीन अमृत सरोवर है, उनका निर्माण कार्य पूरा जल्द कर लिया जाएगा।
    प्रमोद त्रिपाठी, मनेरगा अधिकारी जिला सीहोर

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