इंदौर । प्रदीप मिश्रा एमवाय अस्प्ताल में कोरोना काल की दोनों लहरों के दौरान 360 जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया। पहली लहर में जहां 188 तो वहीं दूसरी लहर में 172 बच्चे जन्मे। 180 गर्भवती महिलाओं ने जहां ट्विन्स बच्चों को जन्म दिया तो वहीं 2 महिलाओं ने ट्रिपलिंस, यानी तीन बच्चों को एक साथ जन्म दिया। यानी 2 महिलाओं से 6 बच्चों ने जन्म लिया। 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2021 तक 9430 बच्चों ने जन्म लिया। जहां 6457 बच्चे नॉर्मल डिलेवरी से तो वहीं 2973 बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए। इसके अलावा इनमें से 86 माताओं ने 172 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। यानी बड़े अस्पताल में कोरोना काल में पिछले साल 9430 बच्चों ने जन्म लिया। इस दौरान नॉर्मल डिलेवरी वाले शिशुओं व प्रसूता महिलाओं पर अस्पताल से छुट्टी होने तक 2 दिन में लगभग 15 लाख और ऑपरेशन से जन्मे शिशुओं व उनकी माताओं पर 5 दिन में लगभग 17 लाख रुपए उनको दिए जाने वाले दूध, फल व पौष्टिक आहार पर खर्च किए गए। डॉक्टर नीलेश दलाल के अनुसार पिछले साल 2021 में कोरोना काल के दौरान 9430 प्रसूता महिलाओं व जन्मे बच्चों की नॉर्मल डिलेवरी पर जननी शिशु सुरक्षा योजन के अंतर्गत दो दिन तक 115 रुपए प्रतिदिन तो वहीं सिजेरियन डिलेवरी से जन्मे बच्चे व माताओं पर 115 रुपए 5 दिनों तक खर्च किए गए। यानी एक सीजर डिलेवरी पर 575 रुपए तो वहीं नार्मल डिलेवरी वाली 1 प्रसूता पर दो दिन में 230 रुपए खर्च हुए।
दूसरी लहर में 172 जुड़वां बच्चे जन्मे
दूसरी लहर के दौरान साल 2021में नॉर्मल डिलेवरी और सिजेरियन यानी ऑपरेशन के माध्य्म से जन्मे 9430 बच्चों के अलावा 86 प्रसूता महिलाओं ने जुड़वां 172 बच्चों को जन्म दिया। शिशु-जननी सुरक्षा योजना व नियम के अनुसार इन जुड़वां बच्चों व इनकी माताओं पर अस्पताल से छुट्टी होने तक 5 दिनों में 4 लाख 34 हजार 450 रुपए पर खर्च किए गए। यानी 86 परिवारों को दोहरी खुशी मिली, क्योंकि एक ही डिलेवरी के दौरान उनके घर-परिवार को एक साथ दो-दो जुड़वां बच्चों की सौगात मिली।
9430 शिशु-माताओं पर 32 लाख खर्च
शिशु-जननी सुरक्षा के तहत एमवाय अस्पताल प्रशासन ने साल 2021 में सीजर डिलेवरी यानी ऑपरेशन से जन्मे 2973 बच्चों व जन्म देने वाली जननी पर 5 दिनों में 17 लाख 9 हजार 475 रुपए खर्च किए गए। इसके अलावा नॉर्मल यानी प्राकृतिक ढंग से जन्मे 6547 बच्चो ं और उन्हें जन्म देने वाली प्रसूता माताओं पर 2 दिनों में 14 लाख 85 हजार 110 रुपए खर्च किए गए। इस तरह 1 साल में 9430 माताओं व उनसे जन्मे शिशुओं पर 31 लाख 94 हजार 585 रुपए खर्च किए गए।
पहली लहर में 188 जुड़वां बच्चे जन्मे
2021 के पहले कोरोना पहली लहर में 94 प्रसूता महिलाओं ने 188 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके अलावा 2721 सिंगल बच्चों का जन्म ऑपरेशन से तो 6627 बच्चों ने प्राकृतिक ढंग से जन्म लिया। इस साल शिशु जननी सुरक्षा के तहत नॉर्मल डिलेवरी वाले शिशुओं व माताओं पर 15 लाख 24 हजार 210, ऑपरेशन से जन्मे बच्चों और इनकी माताओं पर 15 लाख 64 हजार 575, वहीं 188 जुड़वां बच्चों वाली प्रसूताओं पर 52 हजार 325 रुपए खर्च किए गए। इस तरह 9354 प्रसूता महिलाओं पर 31 लाख 14 हजार रुपए खर्च हुए।
2019 में 256 जुड़वां बच्चे पैदा हुए
एमवाय के गायनिक विभाग में साल 2019 में यानी कोरोना की दोनों लहर के पहले 9018 बच्चे प्राकृतिक तरीके से, 4552 बच्चे ऑपरेशन के जरिए जन्मे। इसके अलावा 256 जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया। इस तरह कुल 13 हजार 826 बच्चों ने जन्म लिया। इन 13 हजार 826 बच्चों व इन्हें जन्म देने वाली माताओं पर 48 लाख 38 हजार 740 रुपए शिशु जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत खर्च किए गए।
तीन साल में 610 जुड़वां बच्चे, 6 ट्रिपल बच्चे
एमवाय अस्पताल में पिछले तीन सालों में यानी 2019-20-21 में कुल 305 माताओं ने 610 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके अलावा 2 माताओं ने तीन-तीन, यानी 6 ट्रिपलिंस बच्चों को जन्म दिया। जुड़वां बच्चों के जन्म लेने की मुख्य वजह बच्चे न होने पर इलाज के दौरान गर्भवती होने संबंधित दवाइयां खाना है। उसकी वजह से भी जुड़वां बच्चे होते हैं।
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